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प्रश्न :
चर्चा कीजिये कि स्वराजवादी राजनीतिक संघर्ष के लिये परिषद को एक रणभूमि बनाने में कहाँ तक सफल रहे? परिषद में प्रवेश को लेकर अपरिवर्तनवादियों के क्या तर्क थे?
01 Oct, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
भूमिका में:-
स्वराजियों के विधानपरिषदों में प्रवेश के निर्णय और कॉन्ग्रेस के दो धड़ों में बँटने के परिणामस्वरूप स्वराज पार्टी के निर्माण पर चर्चा करते हुए उत्तर प्रारंभ करें।
विषय-वस्तु में:-
भूमिका से लिंक रखते हुए प्रथम पैराग्राफ में विधानमंडलों में स्वराजवादियों की गतिविधियों की चर्चा करते हुए उनकी सफलता लिखें, जैसे :
गतिविधियों में:
- स्वशासन, नागरिक स्वतंत्रता तथा औद्योगीकीकरण के पक्ष में उन्होंने सशक्त भाषण दिये।
- गठबंधन के सहयोगियों के साथ मिलकर स्वराजियों ने कई बार सरकार के विरुद्ध मतदान किया।
- बजट संबंधी मांगों के विपरीत और स्थगन प्रस्ताव के पक्ष में भी मतदान किया।
सफलताओं में:
- सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक पर सरकार की पराजय स्वराजियों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।
- मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों की कमियों को उजागर करने में सफल रहे।
प्रथम पैराग्राफ से लिंक रखते हुए द्वितीय पैराग्राफ में स्वराजवादियों की असफलताओं पर संक्षिप्त चर्चा के साथ अपरिवर्तनवादियों के तर्कों को प्रस्तुत करें, जैसे :
असफलताओं में:
- स्वराजवादी स्वराज पार्टी में सांप्रदायिक तत्त्वों के प्रवेश को रोकने में असफल रहे।
- विधानमंडलों के भीतर और बाहर संघर्ष के मध्य समन्वय नहीं बना पाए।
- वे विधानमंडल की शक्तियों तथा विशेषाधिकारों का पूर्ण उपयोग करने में असफल रहे।
परिवर्तन विरोधी अर्थात् अपरिवर्तनवादियों के तर्कों में:
- इससे रचनात्मक कार्य प्रभावित होंगे।
- विधानमंडलों के बाहर रहकर रचनात्मक कार्यों के द्वारा जनता को सविनय अवज्ञा के लिये तैयार किया जा सकता है।
- विधानमंडलों में प्रवेश से नेता धीरे-धीरे औपनिवेशिक शासन के समर्थक हो सकते हैं।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
नोट: निर्धारित शब्द-सीमा में विश्लेषित करके लिखें।
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