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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "भारतीय संघवाद की वर्तमान प्रवृत्ति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश में सफल प्रतिस्पर्धी संघवाद (Competitive Federalism) के लक्षण दिखाई देने लगे हैं।" भारत में प्रतिस्पर्धी संघवाद के मामले में हुई प्रगति को देखते हुए उदाहरणों द्वारा इस कथन की पुष्टि करें।

    22 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    प्रतिस्पर्धी संघवाद एक ऐसी संकल्पना है जहाँ केंद्र राज्यों से, राज्य केंद्र से तथा राज्य आपस में भारत के विकास के लिये किये गए संयुक्त प्रयासों में प्रतिस्पर्धा करते हैं। इसमें संपूर्ण देश के लिये समरूप नीति बनाने के स्थान पर विभिन्न राज्यों की प्राथमिकताओं के आधार पर भिन्न-भिन्न नीतियाँ अपनाई जाती हैं। अर्थात यह अवधारणा बॉटम-अप अप्रोच पर टिकी है।

    भारत में प्रतिस्पर्धी संघवाद

    • भारत सरकार ने योजना आयोग, जो टॉप-टू-बॉटम अप्रोच पर आधारित था, नीति आयोग से प्रतिस्थापित कर दिया। नीति आयोग का मूल उद्देश्य भारत में प्रतिस्पर्धी संघवाद को विकसित करना है।
    • चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के पश्चात केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% कर दी गई। अतः अब राज्य सरकारों की नीतिगत मार्गदर्शन के मामले में केंद्र पर निर्भरता कम हुई है।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाओं को युक्तिसंगत बनाया गया है। सरकार ने यह घोषणा भी की है कि राज्य अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर योजना निर्माण कर सकते हैं तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं में बदलाव भी कर सकते हैं। 
    • औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिये श्रम सुधारों की शुरुआत राज्यों से हुई है। वर्ष 2014 में राजस्थान ने श्रम कानूनों में सुधार किया, जिसके पश्चात कर्नाटक एवं महाराष्ट्र ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं। 
    • विकास परियोजनाओं को संचालित करने हेतु भूमि के आसान अधिग्रहण के लिये गुजरात, महाराष्ट्र सहित अनेक राज्यों ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम में संशोधन किया है।

    इस प्रकार अनेक राज्यों ने भारत में प्रतिस्पर्धी संघवाद को सफल बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं, लेकिन कुछ राज्य अपनी परंपरागत भौगोलिक-आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों एवं राजनीतिक बाधाओं के कारण प्रतिस्पर्धी संघवाद के प्रयासों में भागीदार नहीं हो पाए। पूर्वी भारत और पूर्वोतर भारत के राज्यों को इसके लिये विशेष अनुदान देने की आवश्यकता है, ताकि ये राज्य भी अन्य राज्यों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कर भारत के विकास में योगदान दे सकें। 

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