सतत् विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2030 तक रेलवे के संचालन में शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा गया है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए सरकार द्वारा किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालें। सौर ऊर्जा से रेल संचालन की दिशा में संभावनाएँ तथा लाभ क्या हैं?
27 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • सरकार द्वारा किये गये प्रयास • संक्षिप्त में लाभ तथा संभावनाओं पर प्रकाश डालें • निष्कर्ष |
भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2030 तक रेलवे के संचालन में शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा गया है। सतत् विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हाल ही में रेलवे द्वारा ‘नवदूत’ नामक बैटरी चालित रेल इंजन का सफल परीक्षण किया गया है। रेलवे द्वारा अपनी ईंधन की आवश्यकता को पूरा करने के लिये सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के साधनों का प्रयोग, जन-परिवहन को एक हरित माध्यम बनाने की ओर एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
उपरोक्त लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित प्रयास किये गये-
सौर ऊर्जा से रेल संचालन-
वर्ष 2019 में नई दिल्ली में रेलवे द्वारा एक प्रयोगशाला मॉडल पर आधारित परीक्षण किया गया था। इसके तहत सोलर पैनल से उत्पादित विद्युत को सीधे रेलवे की 25 किलोवाट ट्रैक्सन लाइन में संप्रेषित करने में सफलता प्राप्त की गई।
सौर ऊर्जा से रेल संचालन की एक बड़ी चुनौती ‘सिंगल फेज़ इनवर्टर’ की अनुपलब्धता थी। इस चुनौती को दूर करने के लिये भारतीय रेलवे और ‘भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड’ ने मिलकर उच्च क्षमता वाले 1 मेगावाट के ‘सिंगल फेज़ इनवर्टर’ के विकास में सफलता प्राप्त की है।
सौर ऊर्जा से रेल संचालन की दिशा में संभावनाएँ तथा लाभ:
उपरोक्त सुधारों के अलावा हाल के वर्षों में रेल संचालन में अन्य कई महत्त्वपूर्ण सुधार किए गए हैं, जैसे- रेलवे द्वारा ट्रेन में एसी, लाइट आदि उपकरणों के 'इंड संचालन के लिये डीजल जेनरेटर आधारित ‘ऑन जेनरेशन’ प्रणाली को हटाकर इंजन में जाने वाली विद्युत् को प्रयोग करने के लिये आवश्यक तकनीकी बदलाव किए गए हैं। इस बदलाव से न सिर्फ धन की बचत होती है, बल्कि ऐसे सुधारों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी सहायता प्राप्त होगी।