पर्यावरणीय नैतिकता से आप क्या समझतें हैं? पर्यावरणीय नैतिकता से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते हुए पर्यावरणीय नैतिकता को बनाए रखने के उपायों पर प्रकाश डालें।
26 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • पर्यावरणीय नैतिकता से आप क्या है? • पर्यावरणीय नैतिकता से संबंधित मुद्दे • पर्यावरणीय नैतिकता को बनाए रखने के उपाय |
तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या एवं आधुनिक तकनीकी विकास के कारण मानव प्रभाव में वृद्धि हुई है। इसी का परिणाम है कि पर्यावरणीय समस्याएँ आज विश्व के समक्ष विकराल दैत्य के समान मुँह फैलाए खड़ी हैं। वस्तुत: मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन एवं दुरुपयोग किया है जिसके कारण पर्यावरण निम्नीकरण, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापन जैसी समस्याओं का जन्म हुआ है। अत: संसाधनों की सततता, पर्यावरण संरक्षण आदि के प्रति मानव की जि़म्मेदारी से ही ‘पर्यावरणीय नैतिकता’ संबंधित है।
पर्यावरणीय नीतिशास्त्र व्यावहारिक दर्शनशास्त्र की एक शाखा है जिसके अंतर्गत आस-पास के पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित नैतिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। अर्थात् मनुष्य एवं पर्यावरण के आपसी संबंधों का नैतिकता के सिद्धांतों एवं नैतिक मूल्यों के आलोक में अध्ययन किया जाता है। मुख्यत: मनुष्य के उन क्रियाकलापों का नैतिक आधार पर मूल्यांकन किया जाता है जिससे पर्यावरण प्रभावित होता है। नेचर पत्रिका के अनुसार, ‘‘पर्यावरणीय नीतिशास्त्र व्यावहारिक दर्शनशास्त्र की एक शाखा है जिसके अंतर्गत पर्यावरणीय मूल्यों की आधारभूत अवधारणाओं के अध्ययन के साथ-साथ जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण एवं उसे बनाए रखने के लिये आस-पास के सामाजिक दृष्टिकोण, कार्य एवं नीतियों जैसे मुद्दों का अध्ययन किया जाता है।’’
पर्यावरणीय नैतिकता इस विश्वास पर आधारित है कि मनुष्य के साथ-साथ पृथ्वी के जैवमंडल में निवास करने वाले विभिन्न जीव-जंतु, पेड़-पौधे भी इस समाज का हिस्सा हैं। अमेरिकी विद्वान एल्डो लियोपोल्ड का मानना है कि सभी प्राकृतिक पदार्थों में मूल्य अंतर्निहित होते हैं, इसलिये मानव द्वारा दावा किये जा रहे सभी अधिकार, सभी प्राकृतिक पदार्थों पर भी लागू होते हैं तथा मानव को उनका सम्मान करना चाहिये।
पर्यावरणीय नैतिकता से संबंधित मुद्दे
पर्यावरण प्रदूषण- विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है। इसका सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव गरीब एवं वंचित वर्गों पर पड़ रहा है। प्रदूषण जैसी मानवीय गतिविधियाँ प्राकृतिक श्रृंखला में व्यवधान डालती हैं तथा संतुलन की स्थिति को असंतुलित कर देती है। मानव पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण घटक है , अत: मानव का नैतिक कर्त्तव्य है कि वह पर्यावरण को प्रदूषित न होने दे।
इक्विटी- प्राकृतिक संसाधनों पर सभी का समान अधिकार है, परंतु आंशिक रूप से मज़ूबत लोगों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अधिकांश दोहन एवं दुरुपयोग किया जा रहा है , जबकि अन्य गरीब एवं वंचित लोग इनका उपभोग नहीं कर पा रहे हैं।
पशु अधिकार- जीव-जंतुओं एवं पौधों का भी प्राकृतिक संसाधनों पर मानव के समान अधिकार है। अत: नैतिकता के आधार पर मानव को प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग रोकना चाहिये। पशु कल्याण की भावना पर्यावरणीय नैतिकता से संबंधित है, क्योंकि पशु भी प्राकृतिक पर्यावरण में रहते हैं , अत: पशुओं के अधिकारों का भी संरक्षण होना चाहिये।
पर्यावरणीय नैतिकता को बनाए रखने के उपाय-
उपरोक्त के अलावा आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग को रोककर संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण की पारंपरिक गतिविधियों को व्यवहार में लाने की आवश्यकता है।