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प्रश्न :
हाल ही में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की ‘रीवा सौर परियोजना’ को राष्ट्र को समर्पित किया।भारत में सौर ऊर्जा की स्थिति को स्पष्ट करते हुए इससे होने वाले लाभ बताएं, क्या कारण है कि हम सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं हो पा रहे।
25 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- भूमिका
- लाभ
- चुनौतियां
- निष्कर्ष
सूर्य से प्राप्त शक्ति को सौर ऊर्जा कहते हैं। इस ऊर्जा को ऊष्मा या विद्युत में बदलकर अन्य प्रयोगों में लाया जाता है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को प्रयोग में लाने के लिये सोलर पैनलों की आवश्यकता होती है। इस परियोजना में एक सौर पार्क जिसका कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर है, के अंदर स्थित 500 हेक्टेयर भूमि पर 250-250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयाँ शामिल हैं। इस सौर पार्क के विकास के लिये भारत सरकार की ओर से ‘रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड’ को 138 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद प्रदान की गई थी।
इस सौर पार्क को ‘रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड’ ने विकसित किया है जो ‘मध्य प्रदेश उर्जा विकास निगम लिमिटेड’ और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई ‘सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ की संयुक्त उद्यम कंपनी है। भारतीय भू-भाग पर पाँच हज़ार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है। साफ धूप वाले दिनों में सौर ऊर्जा का औसत पाँच किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर होता है। एक मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिये लगभग तीन हेक्टेयर समतल भूमि की ज़रूरत होती है।
भारत में सौर ऊर्जा की स्थिति
- भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है। उष्ण- कटिबंधीय देश होने के कारण हमारे यहाँ वर्ष भर सौर विकिरण प्राप्त होती है, जिसमें सूर्य प्रकाश के लगभग 3000 घंटे शामिल हैं।
- भारतीय भू-भाग पर पाँच हज़ार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है।
- भारत सरकार ने 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, बायोमास ऊर्जा से 10 गीगावाट और लघु जलविद्युत परियोजनाओं से 5 गीगावॉट शामिल है।
- सौर ऊर्जा उत्पादन में सर्वाधिक योगदान रूफटॉप सौर उर्जा (40%) और सोलर पार्क (40%) का है।
- यह देश में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता का 16% है। सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ाकर स्थापित क्षमता का 60% करना है।
- वर्ष 2035 तक देश में सौर ऊर्जा की मांग सात गुना तक बढ़ने की संभावना है।
- यदि भारत में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाया जा सकेगा तो इससे जीडीपी दर भी बढ़ेगी और भारत सुपरपावर बनने की राह पर भी आगे बढ़ सकेगा।
- वर्ष 2040 तक भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है। भविष्य की इस मांग को सौर ऊर्जा से पूरा करने की दिशा में ठोस प्रयास होने चाहिये।
सौर ऊर्जा से होने वाले लाभ:
- सौर ऊर्जा कभी खत्म न होने वाला संसाधन है और यह नवीकरणीय संसाधनों का सबसे बेहतर विकल्प है।
- सौर ऊर्जा वातावरण के लिये भी लाभकारी है। जब इसे उपयोग किया जाता है, तो यह वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें नहीं छोड़ती, जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होता।
- सौर ऊर्जा अनेक उद्देश्यों के लिये प्रयोग की जाती है, इनमें उष्णता, भोजन पकाने और विद्युत उत्पादन करने का काम शामिल है।
- सौर ऊर्जा को प्राप्त करने के लिये विद्युत या गैस ग्रिड की आवश्यकता नहीं होती है। एक सौर ऊर्जा निकाय को कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। सौर उर्जा के पैनलों (सौर ऊर्जा की प्लेट) को आसानी से घरों में कहीं पर भी रखा जा सकता है। इसलिये, ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में यह काफी सस्ता भी है।
सौर ऊर्जा की राह में चुनौतियाँ
- सौर ऊर्जा प्लेटों को स्थापित करने के लिये ज़मीन की उपलब्धता में कमी।
- कुशल मानव संसाधनों का अभाव।
- चीन से आयातित फोटोवोल्टेइक सेलों की कीमत कम तो उसकी गुणवत्ता भी कामचलाऊ है।
- भारत में बने सोलर सेल (फोटोवोल्टेइक सेल) भी अन्य आयातित सोलर सेलों के मुकाबले कम दक्ष हैं।
- अन्य उपकरणों के दाम भी बहुत अधिक।
- विभिन्न नीतियाँ और नियम बनाने के बावजूद सोलर पैनल लगाने के खर्च में कमी नहीं।
- गर्म और शुष्क क्षेत्रों के लिये गुणवत्तापूर्ण सौर पैनल बनाने की नीतियों का अभाव।
- औसत लागत प्रति किलोवाट एक लाख रुपए से अधिक है।
- आवासीय घरों में छतों पर सोलर पैनल लगाने पर आने वाला भारी खर्च सौर ऊर्जा परियोजनाओं की राह में बड़ी बाधा।
भारत में विगत एक दशक के दौरान बढ़ती आबादी, आधुनिक सेवाओं तक पहुँच, विद्युतीकरण की दर तेज होने और जीडीपी में वृद्धि की वजह से ऊर्जा की मांग तेज़ी से बढ़ी है और माना जाता है कि इसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के बजाय सौर ऊर्जा के ज़रिये आसानी से पूरा किया जा सकता है। देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये न केवल बुनियादी ढाँचा मज़बूत करने की ज़रूरत है, बल्कि ऊर्जा के नए स्रोत तलाशना भी ज़रूरी है। ऐसे में, सौर ऊर्जा क्षेत्र भारत के ऊर्जा उत्पादन और मांगों के बीच की बढ़ती खाई को बहुत हद तक पाट सकता है।
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