हाल ही में यह घोषणा की गई कि ‘सीबेड 2030 प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत संपूर्ण विश्व के समुद्र तल के लगभग पांचवें हिस्से का मानचित्रण किया जा चुका है। समुद्री मानचित्रण के महत्त्व की चर्चा करते हुए संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
- भूमिका
- ‘सीबेड 2030 प्रोजेक्ट’क्या है?
- समुद्री मानचित्रण का महत्त्व
- संबंधित चुनौतियां
- निष्कर्ष
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वर्ल्ड हाइड्रोग्राफी डे के अवसर पर जापान के ‘निप्पॉन फाउंडेशन’ तथा ‘जनरल बेथमीट्रिक चार्ट ऑफ द ओसियनस’ के सहयोग से संचालित ‘सीबेड 2030 प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत संपूर्ण विश्व के समुद्र तल के लगभग पांचवें हिस्से का मानचित्रण किया जा चुका है।
‘सीबेड 2030' की घोषणा वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में की गई थी। परियोजना की वैश्विक पहल जापान के निप्पॉन फाउंडेशन तथा ‘जनरल बेथमीट्रिक चार्ट ऑफ द ओसियनस’ (GEBCO) के माध्यम से वर्ष 2017 में की गई। GEBCO को संपूर्ण विश्व के समुद्र तल के नक्शे तैयार करने के लिये अधिकृत किया गया है। इस परियोजना के द्वारा महासागर के विभिन्न हिस्सों से स्थित GEBCO ग्रिड के पाँच केंद्रों की सहायता से प्राप्त बाथमीट्रिक डेटा की सोर्सिंग एवं संकलन का कार्य किया जाता है।
समुद्री मानचित्रण का महत्त्व:
- यह मानचित्रण समुद्र के संचलन, ज्वार एवं जैविक आकर्षण के केंद्र सहित कई प्राकृतिक घटनाओं को समझने में सहायक है। समुद्र के संचलन पैटर्न को समझने के साथ ही सीबेड का उद्देश्य संसाधन अन्वेषण (उदाहरण के लिये तेल, गैस और खनिज) को भी ठीक से समझना है।
- इस मानचित्रण के माध्यम से नेविगेशन के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी, सुनामी की पूर्व सूचना, तेल एवं गैस क्षेत्रों की खोज, अपतटीय पवन टर्बाइन के निर्माण, मछली पकड़ने के संसाधन एवं केबल तथा पाइपलाइन बिछाने से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- आपदा स्थितियों का आकलन करने के लिये भी समुद्र तल का अध्ययन अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2011 में जापान के तोहोकू में आए विनाशकारी भूकंप के पीछे के कारणों की पता लगाने में वैज्ञानिकों द्वारा समुद्र अध्ययन से प्राप्त डाटाओं का प्रयोग किया गया था ।
- संपूर्ण वैश्विक महासागरीय तल का एक मानचित्र महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण एवं इनके निरंतर उपयोग के लिये संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा।
- ये मानचित्र महत्वपूर्ण रूप से जलवायु परिवर्तन की बेहतर समझ विकसित करेंगे, क्योंकि घाटी और पानी के नीचे के ज्वालामुखी एवं सतह की विशेषताएँ समुद्री जल के ऊर्ध्वाधर मिश्रण एवं समुद्र की धाराओं जैसे घटना को प्रभावित करती हैं - जो गर्म और ठंडे पानी के कन्वेयर बेल्ट के रूप में कार्य करती हैं, जलवायु परिवर्तन ने इन धाराओं के प्रवाह को भी प्रभावित किया है।
- ये समुद्री धाराएँ मौसम और जलवायु दशाओं को प्रभावित करती हैं। समुद्री धारााओं के बारे में प्राप्त अधिकाधिक जानकारी वैज्ञानिकों को भविष्य में जलवायु के व्यवहार का पूर्वानुमान लगाने वाले मॉडल विकसित करने में सहायक होगी , जिसमें समुद्र-स्तर की वृद्धि भी शामिल है।
- इस परियोजना के माध्यम से विश्व को समुद्री संसाधनों के बारे में नीतिगत निर्णय लेने, महासागर की सही स्थिरता की जानकारी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान से संबंधित गतिविधियों को नई दिशा मिलेगी।
- महासागर तरंग ऊर्जा रूपांतरण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जिसमें तरंगों की गति का प्रयोग करते हुए विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। जिसके परिणामस्वरूप तापीय ऊर्जा का उत्पादन कम करके सकारात्मक जलवायु कार्यवाई की जा सकती है।
- राष्ट्र राज्यों की सुरक्षा और आर्थिक लाभ के लिये सीबेड मानचित्रण महत्त्वपूर्ण है।
संबंधित चुनौतियाँ:
- डेटा साझा करने के लिये वैज्ञानिक और तकनीकी स्तर पर सहयोग के बाद भी, देश भू-राजनीतिक स्पैट में एक दूसरे के खिलाफ उस ज्ञान का उपयोग कर सकते हैं।
- मोटे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं या दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील भू-राजनीतिक तनाव वाले क्षेत्रों के कारण, सीबेड 2030 परियोजना के लिये रणनीतिक स्वामित्व डेटा देने के लिये कुछ देश अनिच्छुक हैं।
निष्कर्षतः सीबेड 2030 संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य-14 “सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और निरंतर उपयोग” का समर्थन करता है। इसके अतिरिक्त महासागरों की साझी वैश्विक विरासत का संरक्षण किया जाना अति आवश्यक है।