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प्रश्न :
हाल ही में भारत सरकार ने भी ‘आरोग्य सेतु’ के माध्यम से COVID-19 से संक्रमित व्यक्तियों एवं उपायों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जिसके कारण नागरिकों की निजता के उल्लंघन संबंधित मुद्दा चर्चा का विषय बन गया। निजता के महत्त्व का आंकलन करते हुए इस ऐप से जुड़ी निजता संबंधी चिंताओं पर अपने विचार प्रस्तुत करें।
21 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
- भूमिका
- निजता का महत्त्व
- निजता संबंधी चिंताये
- निष्कर्ष
COVID-19 महामारी का पूरी विश्व में अभूतपूर्व ढंग से प्रसार और मृतकों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी के बाद गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों ने महामारी पर नियंत्रण पाने में सरकार की मदद के लिये अपनी कोशिशें तेज़ कर दी हैं। द वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, गूगल और फेसबुक इस महामारी से लड़ाई में स्मार्टफोन से यूज़र्स का लोकेशन डाटा एकत्र कर सरकार से शेयर करेंगी। अमेरिका के बाद इन कंपनियों ने ये भी घोषणा की कि वो इस तरह का डाटा शेयर करने के लिये यूनाइटेड किंगडम की सरकार और कुछ टेलीकॉम कंपनियों से बात कर रही हैं ताकि इन देशों में बीमारी का मुकाबला किया जा सके।
आरोग्य सेतु एप को सार्वजनिक-निजी साझेदारी के जरिये तैयार एवं गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च किया गया है।इस एप का मुख्य उद्देश्य COVID-19 से संक्रमित व्यक्तियों एवं उपायों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराना होगा। यह एप 11 भाषाओं में उपलब्ध है और साथ ही इसमें देश के सभी राज्यों के हेल्पलाइन नंबरों की सूची भी दी गई है।
निजता संबंधी चिंताएँ
- इस एप को लेकर कई विशेषज्ञों ने निजता संबंधी चिंता जाहिर की है। हालाँकि केंद्र सरकार के अनुसार, किसी व्यक्ति की गोपनीयता सुनिश्चित करने हेतु लोगों का डेटा उनके फोन में लोकल स्टोरेज में ही सुरक्षित रखा जाएगा तथा इसका प्रयोग तभी होगा जब उपयोगकर्त्ता किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आएगा जिसकी COVID-19 की जाँच पॉजिटिव/सकारात्मक रही हो।
- विशेषज्ञों के अनुसार, कौन सा डेटा एकत्र किया जाएगा, इसे कब तक संग्रहीत किया जाएगा और इसका उपयोग किन कार्यों में किया जाएगा, इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। सरकार ऐसी कोई गारंटी नहीं दे रही कि हालात सुधरने के बाद इस डेटा को नष्ट कर दिया जाएगा।
- इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिये एकत्रित किये जा रहे डेटा के प्रयोग में लाए जाने से निजता के अधिकार का हनन होने के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का भी उल्लंघन होगा जिसमें निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बताया गया है।
- जिस तरह आधार नंबर एक सर्विलांस सिस्टम बन गया है और उसे हर चीज़ से जोड़ा जा रहा है वैसे ही कोरोना वायरस से जुड़े एप्लिकेशन में लोगों का डेटा लिया जा रहा है जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी डेटा और निजी जानकारियाँ भी शामिल हैं। अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि सरकार किस प्रकार और कब तक इस डेटा का उपयोग करेगी।
- COVID-19 महामारी के बारे में सबसे ज़्यादा चिंताजनक तथ्य ये है कि सरकारें स्वयं मरीज़ों और संभावित संक्रमित लोगों की संवेदनशील जानकारी मुहैया करा रही हैं।
- विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि अनगिनत एप और वेबसाइट बन गई हैं जो सरकारी वेबसाइट से वायरस से संक्रमित लोगों की जानकारी लेकर प्रकाशित कर रही हैं।
- निजता के विषय पर शोध करने वाले शोधकर्त्ताओं का मानना है कि हर केस की जो विशेष जानकारी प्रकाशित की जाती है, उससे वो चिंतित हैं। COVID-19 से बीमार व्यक्ति या क्वॉरन्टीन किये गए लोगों की पहचान आसानी से हो सकती है जिससे उनके निजता के अधिकार का हनन होता है।
निजता का महत्त्व:
- निजता वह अधिकार है जो किसी व्यक्ति की स्वायत्तता और गरिमा की रक्षा के लिये ज़रूरी है। वास्तव में यह कई अन्य महत्त्वपूर्ण अधिकारों की आधारशिला है।
- दरअसल निजता का अधिकार हमारे लिये एक आवरण की तरह है, जो हमारे जीवन में होने वाले अनावश्यक और अनुचित हस्तक्षेप से हमें बचाता है।
- यह हमें अवगत कराता है कि हमारी सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक हैसियत क्या है और हम स्वयं को विश्व से किस हद तक बाँटना चाहते हैं।
- वह निजता ही है जो हमें यह निर्णित करने का अधिकार देती है कि हमारे शरीर व हमारे विचारों पर किसका अधिकार है?
- आधुनिक समाज में निजता का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। फ्रांस की क्रांति के बाद समूची विश्व से निरंकुश राजतंत्र की विदाई शुरू हो गई और समानता, मानवता और आधुनिकता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने पैर पसारना शुरू कर दिया।
- तकनीक और अधिकारों के बीच हमेशा से टकराव होते आया है और 21वीं शताब्दी में तो तकनीकी विकास अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच चुका है। ऐसे में निजता को राज्य की नीतियों और तकनीकी उन्नयन की दोहरी मार झेलनी पड़ी।
- आज हम सभी स्मार्टफोंस का प्रयोग करते हैं। चाहे एपल का आईओएस हो या गूगल का एंड्राइड या फिर कोई अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम, जब हम कोई भी एप डाउनलोड करते हैं, तो यह हमारे फोन के कॉन्टेक्ट, गैलरी और स्टोरेज़ आदि के प्रयोग की अनुमति मांगता है और इसके बाद ही वह एप डाउनलोड किया जा सकता है।
- ऐसे में यह खतरा है कि यदि किसी गैर-अधिकृत व्यक्ति ने उस एप के डाटाबेस में सेंध लगा दी तो उपयोगकर्ताओं की निजता खतरे में पड़ सकती है।
- तकनीक के माध्यम से निजता में दखल, राज्य की दखलंदाज़ी से कम गंभीर है। हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्योंकि तकनीक का उपयोग करना हमारी इच्छा पर निर्भर है, किन्तु राज्य प्रायः निजता के उल्लंघन में लोगों की इच्छा की परवाह नहीं करता।
निष्कर्षतः नि:संदेह यह संकट का समय है जिसमें COVID-19 महामारी से होने वाली हानि को कम करने के लिये असाधारण उपायों की ज़रूरत है।विपक्ष व सोशल मीडिया सरकार के इस आदेश का विरोध कर रहे हैं और लोगोंका कहना है यह उनकी निजता के अधिकार में हस्तक्षेप है। ऐसी स्थिति में सरकार को लोगों की सभी शंकाओं का समाधान करने के लिये आरोग्य सेतु एप पर एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत करना चाहिये ताकि उनकी सभी तरह की शंकाओं का समाधान हो सके।
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