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प्रश्न :
'भारत ने अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिये शक्ति, तलवार या राजनीति का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से समन्वय और आत्मसातीकरण के द्वारा अपनी वैभवपूर्ण संस्कृति को प्रतिस्थापित किया है।' इस कथन के संदर्भ में दक्षिण-पूर्व एशिया पर भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रभाव का उल्लेख करें।
05 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
प्रश्न-विच्छेद
- प्राचीन भारत की सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार की नीति को बताना है।
- दक्षिण-पूर्व एशिया पर भारतीय संस्कृति के प्रभाव का उल्लेख करना है।
हल करने का दृष्टिकोण
- प्रभावी भूमिका के साथ उत्तर-लेखन की शुरुआत करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु प्रस्तुत करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भारतीय संस्कृति तथा धर्म का जितना प्रभाव पड़ा उतना शायद ही संसार के किसी अन्य देश पर पड़ा है। इन क्षेत्रों से मिले साहित्यिक स्रोतों से यहाँ की भाषा, धर्म, राजनीति तथा सामाजिक संस्थानों पर भारत का बहुत गहरा प्रभाव दिखाई देता है। अनेक भारतीय राजाओं जिनमें अशोक का नाम मुख्य रूप से लिया जाता है, ने युद्ध नीति को छोड़कर दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक देशों में धर्म एवं संस्कृति का प्रसार किया है।
दक्षिण-पूर्व एशिया में मौर्योत्तर काल में भारतीय संस्कृति ने प्रवेश किया और अपनी सभ्यता, संस्कृति व धर्म से यहाँ के लोगों को प्रभावित किया। भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक प्रभाव जावा, सुमात्रा, बाली, कंबोज, चंपा, फुनान और मलाया आदि में रहा। सर्वप्रथम पूर्वी तटों के व्यापारियों का संपर्क मलयद्वीप तथा इंडोनेशियाई द्वीपों पर कायम हुआ। इसी दौर में महायान और हीनयान से जुड़े कुछ धर्म प्रचारकों की यहाँ तक पहुँच बनी। गुप्तकाल को इस क्षेत्र में संपर्क - प्रभाव - उपनिवेशन का काल माना जाता है। इस दौर में भारत के पूर्वी तटों से दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्रों में राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से प्रभावी होने की भारतीय कोशिश शुरू होती है।
दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति के प्रसार के संकेत ईसवी सन् के प्रारंभ से ही मिलने लगते हैं। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचारक मंडल को बर्मा (म्याँमार) भेजा तथा बौद्ध धर्म का प्रचार कराया। 11-13वीं शताब्दी के मध्य बर्मा बौद्ध-संस्कृति का महान केंद्र बना रहा। इसी तरह मलेशिया के केडाह प्रांत से शैव धर्म के प्रचलन के संकेत मिलना, वियतनाम में हिंदू एवं बौद्ध मंदिरों के निर्माण के साथ ही शिव, गणेश, लक्ष्मी, पार्वती, सरस्वती, बुद्ध तथा लोकेश्वर आदि देवताओं की पूजा किये जाने, थाईलैंड से अमरावती शैली, गुप्तकालीन कला और पल्लव लिपि में अंकित बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के अवशेषों का मिलना, कंबोडिया में अंकोरवाट का मंदिर तथा इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर प्रांबानन में हिंदू मंदिर और बोरोंबुदूर में विश्व विख्यात विशाल बौद्ध स्तूप का मिलना भारतीय संस्कृति के प्रभाव का परिचायक है।
भारतीय संस्कृति ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की कला और साहित्य ही नहीं बल्कि उनके आचार-विचार, संस्कार-व्यवहार और तौर-तरीकों को भी प्रभावित किया है। जिसे आज भी भारत-आसियान संबंधों के संदर्भ में देखा जा सकता है।
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