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प्रश्न :
निम्लिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
"मुझे बार-बार अनुभव होता है कि मैंने प्रभुता और सुविधा के मोह में पढ़कर उस क्षेत्र में अनाधिकार प्रवेश किया है, और जिस विशाल में मुझे रहना चाहिए था उसे दूर हट आया हूँ। जब भी मेरी आँखें दूर तक फैली क्षैतिज रेखा पर पड़तीं, तभी यह अनुभूति मुझे सालती कि मैं उस विशाल से दूर हट आया हूँ।"
20 Aug, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संदर्भ एवं प्रसंग
- व्याख्या
- विशेष सौंदर्य
संदर्भ एवं प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश मोहन राकेश के नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' के तृतीय अंक से लिया गया है। यह कालिदास के लंबे कथन का हिस्सा है, जिसमें वह मल्लिका के सम्मुख उसके द्वारा किये गए कार्यों का स्पष्टीकरण दे रहा है।
व्याख्या: कालिदास कहता है कि वह सुविधाएँ प्राप्त करने और महान कहलाने के लिये एक ऐसे क्षेत्र में प्रवेश कर गया जहाँ उसका अधिकार नहीं था। इस प्रकार अनिश्चित क्षेत्र में जाने के कारण वह अपने मूल क्षेत्र अर्थात् रचनाकर्म से दूर हट गया और अब वह जब भी आत्मावलोकन करता है तो उसे अपने क्षेत्र में न होने की पीड़ा परेशान करती है।
रचनात्मक सौंदर्य:
- कालिदास यहाँ रचनाकार का प्रतीक है। आधुनिक युग में भी रचनाकार अपना मूल रचनाकर्म छोड़कर महत्ता व सुविधाओं को स्वीकार कर लेते हैं। जो कई बार उनकी उस रचनाधर्मिता को ही नष्ट कर देता है, जिसके कारण उसे वह पद व सम्मान प्राप्त हुआ था।
- इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि सत्ता का मोह सृजनशीलता को किस तरह पथभ्रष्ट कर देता है।
- संवाद अत्यधिक लंबा है किंतु उसका आंतरिक तनाव पाठक को आस्वादन प्रक्रिया से वंचित नहीं होने देता है।
- तत्समी भाषा के कारण ऐतिहासिकता बनी हुई है परंतु बोधगम्यता में कोई कमी नहीं आई है।
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