तापमान के व्युत्क्रमण से आप क्या समझते हैं? तापमान व्युत्क्रमण के लिये आदर्श दशाओं पर प्रकाश डालते हुए बताये की यह किस प्रकार भारतीय जनजीवन को प्रभावित करता है?
उत्तर :
सामान्य परिस्थितियों में क्षोभमंडल में सतह से ऊपर की ओर जाने पर तापमान में कमी आती है जो 5º सेटीग्रेड प्रति किलोमीटर पर होती है। तापमान में होने वाली इस कमी को ‘सामान्य ताप ह्रास दर’ कहते हैं। परंतु जब विशेष परिस्थितियों में कालिक एवं स्थानीय रूप से क्षोभमंडल में ऊपर की ओर जाने पर तापमान में कमी के स्थान पर वृद्धि होती है तो इस स्थिति को तापमान व्युत्क्रमण/प्रतिलोमन कहते हैं।इस क्रिया के फलस्वरूप नीचे की वायु परत अपेक्षाकृत ठंडी तथा इसके ऊपर गर्म वायु की परत स्थापित हो जाती है।अधिक ऊँचाई पर होने वाला तापमान व्युत्क्रमण अपेक्षाकृत अधिक स्थाई होता है क्योंकि पार्थिव विकिरण द्वारा ऊपर की वायु को गर्म करने में अधिक समय लगता है। जबकि धरातलपर होने वाला तापमान व्युत्क्रमण अल्पकालिक होता है। तापीय व्युत्क्रमण के कारण वायुमंडल में स्थिरता आती है। तापीय व्युत्क्रमण ध्रुवीय प्रदेशों, मध्य अक्षांशों के हिमाच्छादित भागों तथा घाटियों में अधिक होता है।
तापमान व्युत्क्रमण के लिये आदर्श दशाएँ-
- राते ठंडी तथा लंबी होनी चाहिये ताकि पार्थिव विकिरण की मात्रा सौर्य विकिरण से अधिक हो।
- आकाश स्वच्छ एवं मेघरहित होना चाहिये जिससे कि पार्थिव विकिरण द्वारा ऊष्मा का ह्रास तीव्र दर से तथा बिना किसी रुकावट के हो सके।
- सतह के समीप हवा शुष्क होनी चाहिये जिससे कि पार्थिव विकिरण का अवशोषण न हो अथवा न्यूनतम अवशोषण हो।
- ज्ञात हो कि जलवाष्प युक्त आर्द्र हवा पार्थिव विकिरण का अधिक अवशोषण करती है।
- वायुमंडल के शांत एवं स्थिर होने के साथ-साथ पवनों का संचार मंद होना चाहिये क्योंकि पवन संचरण अधिक होने के कारण तापमान की मिलावट एवं स्थानांतरण होने लगता है।
- धरातल हिम आच्छादित होना चाहिये।
प्रभाव-
- तापमान व्युत्क्रमण प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से मानवीय आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।
- ठंडी कोहरे की स्थिति उत्पन्न होती है इससे सामान्य जनजीवन के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियाँ भी प्रभावित होती है।
- वस्तुत: यह (कोहरा) दृश्यता को कम करता है जिसके कारण वायुयानों, जलयानों के साथ दुर्घटनाएँ घटने के साथ-साथ सड़क एवं रेल दुर्घटनाएँ भी होती है जिससे आर्थिक क्षति होती है।
- इसके अलावा क्षेत्र विशेष में फसलों एवं फलों की खेती हेतु कोहरा लाभकारी भी होता है। यथा यमन की पहाड़ियों पर सूर्य की तेज़ धूप से कोहरा फसल का बचाव करता है।
- यदि नीचे की ठंडी वायु का तापमान अधिक कम हो जाए तो पाले के कारण फसलों एवं फलों के बागानों को भारी नुकसान होता है जो आर्थिक रूप से हानिकारक है।
- घाटियों में नीचे की ओर पाला पड़ना सामान्य बात है।
- तापमान व्युत्क्रमण के कारण वायुमंडल में स्थिरता उत्पन्न होने से प्रतिचक्रवातीय दशाओं के कारण वर्षा की संभावना कम होती है।
- उपरोक्त के अतिरिक्त हिमालयी क्षेत्र में घाटी तापमान व्युत्क्रमण के कारण सेब के बागानों को काफी नुकसान होता है जिससे आर्थिक क्षति भी होती है।