उत्तर :
प्रश्न विच्छेद:
- भूमिका
- कोयला उत्पादन से संबंधित पर्यावरणीय समस्याएँ
- कोयला उत्पादन से संबंधित आर्थिक समस्याएँ
- निष्कर्ष
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षिप्त भूमिका लिखें।
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोयला उत्पादन से संबंधित आँकड़े दें
- कोयला उत्पादन से संबंधित पर्यावरणीय समस्याएँ बतायें।
- शब्द सीमा कम करने के लिये चित्र/माइंड मैप का प्रयोग करें।
- कोयला उत्पादन से संबंधित आर्थिक समस्याएँ बतायें।
- निष्कर्ष में कोयला उत्पादन से संबंधित समस्याओं को भारत के परिप्रेक्ष में उल्लेख कीजिये और अपने सुझाव भी लिखिये।
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कोयला एक प्रमुख जीवाश्म पदार्थ है जो ईंधन का एक प्रमुख स्रोत है। कोयला किसी भी देश में ऊर्जा का एक प्रमुख साधन होता है। वर्ष 2018 में विश्वभर में 7813.3 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया गया था। कोयले का यह उत्पादन दो विधियों से किया गया था-
1. सतही खनन विधि
2. भूमिगत खनन विधि
शीर्ष पाँच कोयला उत्पादक देशों में चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
जहाँ एक ओर कोयला उत्पादन ऊर्जा व अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक है वहीँ इसके उत्पादन से विभिन्न पर्यावरणीय व आर्थिक समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।
पर्यावरणीय समस्याएँ:
- वनोन्मूलन व पारिस्थितिक असंतुलनः कोयला खनन हेतु व्यापक स्तर पर खनन क्षेत्रों में वनों की कटाई की जाती है। जिसके कारण उन क्षेत्रों में वन घनत्व में कमी आती है। परिणामस्वरूप उस क्षेत्र में वर्षा व अन्य मौसमी क्रियाओं या पारिस्थितिकी असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।
- मृदा प्रदूषणः खनन कार्यो के पश्चात् छोड़ी गई निचली भूमि पर छोटे-2 गड्ढों का निर्माण हो जाता है। जिससे यह क्षेत्र कृषि व अन्य उत्पादक गतिविधियों के योग्य नहीं रह जाता है।
- वायु प्रदूषणः खदानों में किये जाने वाले विस्फोटों से उठने वाला धुआँ आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का कारण बनता है। वहीँ कोल कटिंग व खुदाई के कारण उठने वाली धूल वायु को दूषित करती है। वायु प्रदूषण का अन्य कारण कोयला खद्यानों से निकलने वाली हरित गैसें भी हैं तथा कोयले के परिवहन के दौरान धूल कण वायु को प्रदूषित करते हैं।
- जल प्रदूषणः खदानों द्वारा निस्तारित दूषित जल तथा मशीनों व कच्चे पदार्थो की धुलाई में प्रयुक्त जल द्वारा इन क्षेत्रों की नदियों व अन्य जलाशयों में जल प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न होती है क्योंकि इस जल में तेल व ग्रीस की प्रधानता होती है।
आर्थिक समस्याएँ:
- उच्च परिवहन लागत: कोयला उत्पादन भार आधारित उद्योग है अतः इनके परिवहन हेतु रेल भाड़ा दर में यातायात की सुगमता का अभाव होने के कारण इसकी आर्थिक लागत बढ़ जाती है जो उच्च स्तर पर कोयला उत्पादन में प्रमुख बाधा है।
- उन्नत तकनीक: चूँकि कोयला एक सीमित जीवाश्म पदार्थ है। अतः इसके भूमिगत दोहन की उन्नत तकनीकों तथा प्रसंस्करण, धुलाई, कटिंग आदि प्रक्रियाओं हेतु तकनीक अभाव में अधिकांश हिस्सा व्यर्थ हो जाता है। जिससे उत्पादन लागत में भी वृद्धि होती है।
- ऊर्जा उपलब्धता: खनन क्षेत्रों में प्रयुक्त मशीनों व अन्य सहायक प्रक्रियाओं हेतु ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है। पर्याप्त ऊर्जा उपलब्धता के अभाव में उत्पादन में बाधा आती है तथा उत्पादन लागत में भी वृद्धि होती है।
- कुशल श्रमिकों की उपलब्धता: कोयला उत्पादन हेतु कुशल श्रमिकों की उपलब्धता का अभाव होने से उत्पादन प्रक्रिया धीमी व गुणवत्ताहीन हो जाती है। जिसके कारण समग्र उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
- स्वास्थ्य संबंधी श्रमिक खर्चः कोयला क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों में नेत्र, श्वसन व अन्य बीमारियों से सुरक्षा हेतु संबंधित सुरक्षा उपकरणों पर खर्च तथा बीमारियों से सुरक्षा हेतु दिया जाने वाला खर्च भी उत्पादन लागत को बढ़ाता है।
विश्व के चौथे सबसे बड़े कोयला भंडार के बावजूद भारत ने वर्ष 2019 में 235 मिलियन टन (MT) कोयले का आयात किया था। यह स्पष्ट करता है कि भारत में संसाधन होने के बावजूद भी उसका यथासंभव दोहन नहीं हो पाया है।
इस प्रकार कोयला उत्पादन में अवसरंचना निर्माण, कौशल प्रशिक्षण, उन्नत तकनीक का प्रयोग, पर्यावरणीय समस्याओं को ध्यान में रखते हुये प्रबंधित उत्पादन पर बल दिया जाना चाहिये तथा कोयला उत्पादन पर निर्भरता कम करते हेतु नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।