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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में ‘नेचर ह्यूमन विहेवियर’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, COVID-19 के संक्रमण को रोकने के लिये ‘सोशल बबल्स’ एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता बेहतर है। ‘सोशल बबल्स’ से आप क्या समझतें हैं? इससे होने वाले लाभों पर प्रकाश डालें।

    08 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • सोशल बबल्स से क्या आशय है?

    • इसके लाभ।

    • निष्कर्ष।

    COVID-19 के प्रसार को रोकने हेतु विश्व के विभिन्न देशों में लागू लॉकडाउन के बीच अपने घरों तक सीमित लोगों के मनोवैज्ञानिक बोझ को कम करने के लिये सरकारों पर प्रतिबंधों को कम करने का दबाव बढ़ा है। विश्व के कई देशों में COVID-19 के मामलों में हो रही वृद्धि के बावजूद भी सरकारों ने प्रतिबंधों में कुछ छूट देनी शुरू कर दी है।

    ऐसे में प्रतिबंधों में छूट के दौरान COVID-19 संक्रमण की दूसरी लहर से बचने की अनेक रणनीतियों में से एक ‘सोशल बबल’ के विकल्प को प्रभावी बताया गया है।

    सोशल बबल का विचार न्यूज़ीलैंड में अपनाए गए घरों के ‘बबल्स’ अर्थात बुलबुलों के मॉडल पर आधारित है, जहाँ इन ‘बबल्स’ से आशय ऐसे विशेष सामाजिक समूहों से है जिन्हें इस महामारी के दौरान एक-दूसरे से मिलने की अनुमति दी गई है।

    मूल रूप से न्यूज़ीलैंड के मॉडल के तहत एक ‘बबल’ से आशय एक परिवार के लोगों से है जो एक साथ रहते हैं।

    इसके तहत अलर्ट के तीसरे चरण में लोगों को अपने ‘बबल’ के दायरे में थोड़ी वृद्धि करने की अनुमति है, जिसमें वे देखभाल करने वाले सहायकों या साझा देखभाल में रह रहे बच्चों को अपने समूह में शामिल कर सकते हैं।

    साथ ही यह उन लोगों पर भी लागू होगा जो अकेले रहते हैं अथवा ऐसे लोग जो किसी एक या दो लोगों के संपर्क में रहना चाहते हैं।

    ऐसे लोगों का एक ही घर में रहना अनिवार्य ही नहीं है परंतु उनका एक ही इलाके का होना अनिवार्य है।

    इस मॉडल के तहत यदि किसी व्यक्ति में COVID-19 के लक्षण पाए जाते हैं तो उस स्थिति में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये समूह के सभी लोगों को क्वारंटीन कर दिया जाएगा।

    इस छूट का उद्देश्य COVID-19 संक्रमण के खतरे को सीमित रखते हुए लोगों पर लॉकडाउन के दुष्प्रभावों को कम करना था। हाल ही में यूनाइटेड किंगडम में लॉकडाउन को समाप्त करने की रणनीति के तहत लोगों को अपने अलावा एक और परिवार के लोगों को अपने समूह में जोड़ने की अनुमति दी गई।

    ‘लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस’ द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार, सोशल बबल्स की अवधारणा प्रभावी साबित हुई, क्योंकि इसके माध्यम से अलग-थलग, कमज़ोर या किसी परेशानी में रह रहे लोगों को आवश्यक देखभाल और सहायता उपलब्ध कराना संभव हो सका।

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति विश्व के अन्य देशों में भी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के लिये प्रेरित करते हुए उन्हें आवश्यक देखभाल और सहायता उपलब्ध कराने में प्रभावी हो सकती है।

    इससे होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं-

    इसके माध्यम से COVID-19 या किसी अन्य संक्रामक बीमारी के प्रसार की संभावनाओं को सीमित करते हुए लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है। साथ ही इसके माध्यम से प्रतिबंधों में अधिक सख्ती रखे बगैर संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है।

    ‘सोशल बबल’ को नियोक्ताओं द्वारा विभागों या कार्य इकाइयों में कर्मचारियों के समूह बनाकर लागू किया जा सकता है।

    उदाहरण के लिये- अस्पतालों और अतिआवश्यक कर्मचारियों के मामलों में अलग-अलग पाली/सिफ्ट में एक ही समूह के लोगों को तैनात कर संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।

    इस अध्ययन के लेखकों के अनुसार, ऐसे छोटे समूहों में संक्रमण का खतरा बहुत ही कम होगा और यदि समूह का कोई व्यक्ति संक्रमित भी हो जाता है तो इसका प्रसार अन्य समूहों में नहीं होगा।

    निष्कर्षतः वर्तमान में COVID-19 के किसी प्रमाणिक उपचार के अभाव में इस बीमारी के प्रसार को रोकना अति महत्त्वपूर्ण है। इसे रोकने के लिये विश्व के विभिन्न देशों में लागू लॉकडाउन के दौरान लोगों को विभिन्न प्रकार की आर्थिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ऐसी स्थिति में ‘सोशल बबल’ के माध्यम से इस बीमारी के प्रसार के खतरों को सीमित करते हुए लॉकडाउन से उत्पन्न चुनौतियों को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

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