स्थानीय पवनें क्या हैं? सागरीय समीर और स्थलीय समीर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये।
08 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
प्रश्न-विच्छेद
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हल करने का दृष्टिकोण
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धरातल पर स्थानीय पवनों के अतिरिक्त ऐसे पवन भी पाए जाते हैं जिनकी उत्पत्ति केवल स्थानीय कारणों से होती है। ऐसे पवनों को स्थानीय पवन कहा जाता है। इनकी उत्पत्ति के कारणों में स्थानीय तापान्तर ही सर्वप्रमुख होता है। इन पवनों की ऊँचाई अधिक नहीं होती। प्रत्येक स्थानीय पवन की अपनी विशेषता होती है तथा इनके नाम भी अलग-अलग होते हैं। स्थानीय पवनों के अंतर्गत सागरीय समीर-स्थलीय समीर तथा पर्वतीय समीर-घाटी समीर आते है।
सागरीय समीर
ग्रीष्म ऋतु में दिन के समय जब समुद्र तथा उससे संलग्न तटवर्ती क्षेत्रों पर सूर्य चमकता है, तब धरातल जल की अपेक्षा शीघ्र और अधिक गर्म हो जाता है। धरातल के गर्म हो जाने के फलस्वरूप उसके ऊपर की वायु गर्म होकर फैल जाती है तथा हल्की होकर ऊपर उठने लगती है। जिसकी वजह से दिन में धरातल के ऊपर निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इसके विपरीत ठंडे समुद्र तल पर वायुदाब अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है। परिणामस्वरूप समुद्र से तटवर्ती क्षेत्रें की ओर ठंडे पवन अर्थात् सागरीय समीर प्रवाहित होते हैं।
स्थलीय समीर
ऐसी रात्रिकालीन अपतटीय पवन जो स्थल से जल की ओर चलती है स्थलीय समीर कहलाती है। ध्यातव्य है कि स्थल जल की अपेक्षा तीव्रता से गर्म और ठंडा होता है, अतः सूर्यास्त के पश्चात् ताप विकिरण के द्वारा धरातल शीतल होने लगता है तथा स्थल पर अधिक वायुदाब तथा जल पर न्यून वायुदाब का क्षेत्र निर्मित हो जाता है। फलस्वरूप वायुदाब की प्रवणता स्थल से जल की ओर हो जाती है जिससे स्थल की एक संकरी पट्टी से सागर की वायु का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है जिसे स्थलीय समीर कहा जाता है।