गण संघों (गैर-राजतंत्रीय राज्य प्रणालियों) का विवरण प्रस्तुत कीजिये, उनका पतन किस कारण हुआ था? (250 शब्द )
04 Aug, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • कथन के पक्ष में तर्क • उदाहरण • निष्कर्ष |
प्रारंभ में अधिकांश इतिहासकाराें की धारणा थी कि प्राचीन भारत में केवल राजतंत्र ही थे किंतु बाद की खोजों से यह बात प्रकाश में आई कि प्राचीन भारत में राजतंत्रों के साथ-साथ गण अथवा संघ राज्यों का भी अस्तित्त्व था। गैर राजतंत्रीय राज्य प्रणालियों का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। इसके अतिरिक्त गण संघों का विवरण यूनानी-रोमन लेखकों द्वारा किया गया है। पुरातात्त्विक प्रमाणों के रूप में विभिन्न गण संघाें के सिक्के के प्रमाण भी पाए गए।
छठीं शताब्दी ईसा पूर्व अर्थात् बुद्धकालीन भारत में कई गणराज्य उत्तर-भारत में स्थापित थे जिनकी संख्या 10 बताई जाती है, इनमें से कुछ थे:
उपरोक्त गणराज्य अत्यंत शक्तिशाली एवं सुव्यवस्थित थे। उन्होंने अपने समकालीन राजतंत्रों का बड़ा प्रतिरोध किया था। देश भक्ति एवं स्वाधीनता की भावना इन गणराज्यों में कूट-कूट कर भरी थी किंतु वे राजतंत्रों के विरुद्ध अपनी स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर पाए अंततोगत्वा उनका पतन हो गया। इसके लिये अनेक कारणों को उत्तरदायी बताया गया है।
एक विचार के अनुसार, समुद्रगुप्त की साम्राज्यवादी नीति ने गणराज्यों की स्वाधीनता का अंत कर दिया जिसके कारण इनका पतन हो गया। किंतु यह विचार तर्कसंगत नहीं लगता क्योंकि समुद्रगुप्तकालीन गणराज्य नाममात्र के लिये प्रभुसत्ता स्वीकार करते थे, उन्हें पर्याप्त आंतरिक स्वायत्तता मिली हुई थी।
दूसरा कारण गणराज्यों के शासन में उच्च पदों का आनुवंशिक होना पाया गया, चूँकि प्राचीन ग्रंथों में सर्वत्र राजतंत्रों की प्रशंसा की गई थी तथा राजा का पद दैवीय माना गया था। अतः गणराज्यों ने भी सुशासन तथा सुरक्षा की दृष्टि से राजतंत्रात्मक प्रणाली को अपनाना हितकर समझा। क्रमशः गणराज्यों की सत्ता प्रभावशाली व्यक्तियों के हाथों में केंद्रित होती गई और धीरे-धीरे शासन का जनतांत्रिक स्वरूप समाप्त हो गया।
निष्कर्षतः गणतंत्रों की आपसी फूट तथा समकालीन राजतंत्रों की विस्तारवादी नीति को ही न्यूनाधिक रूप से उनके पतन के लिये उत्तरदायी माना जा सकता है।