हाल ही में संपन्न 'ओपन स्काई संधि' से आप क्या समझते हैं? अमेरिका द्वारा स्वयं को संधि से अलग करने के कारणों की चर्चा करते हुए इससे संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• 'ओपन स्काई संधि' का परिचय
• अमेरिका द्वारा स्वयं को संधि से अलग करने का कारण
• संबंधित चुनौतियां
• निष्कर्ष
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'ओपन स्काई संधि' (OST) सदस्य देशों को एक-दूसरे देश की सीमा में सैन्य गतिविधियों संबंधित मतभेद को दूर करने के लिये निगरानी उड़ानों की अनुमति देती है। यह संधि सदस्य देशों को एक-दूसरे की सीमा में गैर-हथियारबंद विमानों के माध्यम सैन्य ठिकानों की निगरानी की सुविधा प्रदान करती है। साथ ही यह संधि सदस्य देशों के बीच पारदर्शिता, परस्पर विश्वास और पूर्वानुमान की स्थिति बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण रही है।
अमेरिका द्वारा स्वयं को संधि से अलग करने के कारण:
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस संधि से अमेरिका को अलग करने की चेतावनी दी थी।उल्लेखनीय है कि इस संधि से अलग होने के लिये संबंधित देश द्वारा संधि में शामिल अन्य सभी देशों को 6 माह पूर्व इसके बारे में सूचित करना अनिवार्य है।
- अमेरिका के अनुसार, हाल के वर्षों में रूस द्वारा कई मौकों पर इस संधि का उल्लंघन किया गया है।
- पिछले कुछ वर्षों में रूस द्वारा अमेरिका और कुछ अन्य देशों को का कालिलिनग्राद और जॉर्जिया के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे- अब्खाज़िया में निगरानी में विमानों की उड़ानों की अनुमति नही दी गयी।
- अमेरिकी के अनुसार, यदि दूसरा पक्ष (अमेरिका के अलावा) संधि में हुए समझौतों को पूरी तरह नहीं लागू करता है, तो यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक शांति के लिये बनी संपूर्ण बहु-पक्षीय संरचना (संयुक्त राष्ट्र) के अस्तित्त्व को निरर्थक बनाता है।
चुनौतियाँ:
- INF संधि से अलग होने के बाद अमेरिका द्वारा चीन को शामिल करते हुए एक नई संधि स्थापित करने की बात कही गई थी परंतु चीन ने ऐसी किसी संधि में शामिल होने पर असहमति जताई है।
- साथ ही चीन ने OST में भी न शामिल होने के संकेत दिए हैं।
- अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इस संधि से अलग होने के निर्णय से अमेरिका की स्थानीय राजनीति में भी ध्रुवीकरण में वृद्धि देखने को मिल सकती है।
- बड़े पैमाने पर देखा जाए तो अमेरिका और रूस के अतिरिक्त इस संधि में अन्य सदस्य देशों का प्रभाव बहुत ही सीमित रहा है, ऐसे में दोनों में से एक भी देश के इस संधि के अलग होने से इसका महत्त्व समाप्त हो जाएगा।
- अमेरिका के इस संधि से अलग होने के बाद यह संधि भी ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप की तरह ही जारी रह सकती है परंतु उस स्थिति में यूरोपीय देशों लिये अमेरिका के साथ रणनीतिक जानकारी साझा करना उतना आसान नहीं होगा।
इस संधि को अधिक कारगर बनाने हेतु अमेरिका और रूस के साथ संधि के अन्य देशों को भी इस संधि में शामिल करने का प्रयास किया जाना चाहिये, जिससे हाल के वर्षों में चीन की बढ़ी सैन्य शक्ति के बाद वैश्विक संतुलन को बनाया रखा जा सके।