- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
अंधविश्वास न सिर्फ एक व्यक्ति को कमज़ोर बनाता है बल्कि एक प्रगतिशील समाज में बाधा उत्पन्न करता है। अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले विभिन्न कारकों की चर्चा करने के साथ ही इससे उत्पन्न नैतिक मुद्दों को स्पष्ट करें।
03 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• अंधविश्वास प्रगतिशील समाज में कैसे बाधा उत्पन्न करता है?
• कारकों की चर्चा
• निष्कर्ष
अंधविश्वास को अतार्किक विश्वास या पारलौकिक शक्ति पर अत्यधिक विश्वास के रूप में देखा जाता है जो सामान्यत: अज्ञानता या भय, तार्किक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण का न होना इत्यादि पर आधारित होता है तथा जिसकी जादू-टोना, शगुन, नर बलि, पशु बलि आदि के प्रति आसक्तिपूर्ण श्रद्धा होती है।
उल्लेखनीय है कि अंधविश्वास के कारण व्यक्ति अपनी क्षमताओं पर भरोसा न करके किसी अन्य सत्ता के प्रति आसक्त हो जाता है। अर्थात् उसकी स्थिति अकर्मण्य के समान हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूर्ण दोहन नहीं कर पाने के साथ ही तार्किक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण को महत्त्व नहीं दे पाता है, जिससे व्यक्ति के निर्णय बाधित होते हैं, जो व्यक्ति को कमज़ोर बनाते हैं। इसके अलावा अंधविश्वास की प्रवृत्ति समाज की प्रगति में बाधा पैदा करती है, क्योंकि अंधविश्वास से समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को महत्त्व नहीं दिया जाता। अंधविश्वास से विभिन्न सामाजिक कुरीतियों का भी विकास होता है, जो समाज की प्रगति व विकास में बाधा पैदा करती हैं। अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले विभिन्न कारक निम्नलिखित हैं-
- टीवी धारावाहिक और ऐसे ही अन्य स्रोत अंधविश्वासपूर्ण तत्त्वों को वास्तविक लगने वाली कहानियों के रूप में चित्रित करते हैं, जिससे दर्शकों विशेषकर बच्चों की मानसिकता प्रभावित होती है।
- अज्ञानता अंधविश्वास को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि शिक्षा से वंचित व्यक्ति इन अंधविश्वासाें के प्रति अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिये ज़्यादा आकर्षित होता है।
- व्यक्ति के ‘समाजीकरण’ की प्रक्रिया के दौरान वह समाज व परिवार से कई बातों को सीखता है और ऐसी स्थिति में अगर परिवार और धर्म में अंधविश्वास मौजूद है, तो उस बच्चे में भी अंधविश्वास के प्रति उर्वर भूमि तैयार हो जाती है।
- मनुष्य की यह सामान्य प्रवृत्ति होती है कि वह सुरक्षा चाहता है। यह प्रवृत्ति उसे आसानी से इन अलौकिक तत्त्वों पर विश्वास करने के लिये प्रेरित करती है, जिसके कारण व्यक्ति यह समझता है कि वह कुछ अनिश्चितताओं का समाधान निकाल सके, जो व्यक्ति को अंधविश्वास की तरफ आकर्षित करती है।
अंधविश्वास समाज में व्यक्तियों के शोषण का कारण होता है और अंधविश्वासों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रमुख नैतिक मुद्दे निम्नलिखित हैं-
- अंधविश्वासों से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है जिससे मानवता का ह्रास होता है जैसे- मानव बलि, आग पर चलने के लिये विवश करना। किसी व्यक्ति को उसकी शारीरिक विसंगतियों के आधार पर ‘अशुभ’ मानना इत्यादि के कारण उसके साथ भेदभावपरक व्यवहार किया जाता है।
- अंधविश्वास के कारण पशु अधिकारों का भी उल्लंघन होता है, जैसे- पशु बलि, जल्लीकट्टू की प्रथा इत्यादि।
- व्यक्तियों का भाग्यवादी दृष्टिकोण, जिसमें प्रत्येक दुर्घटना को भाग्य की बात मान लिया जाता है, जैसे कि कुछ पड़ोसी देशों में यह देखा गया कि माता-पिता ने अपने बच्चों का पोलियो टीकाकरण कराने से इसलिये मना कर दिया क्योंकि उन्हें बताया गया था कि यह भाग्य की बात है।
- व्यक्तियों की विवेकहीनता, जिसके कारण भय और अतार्किक प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है, जैसे- गर्भ में भ्रूण लिंग बदलने का दावा।
निष्कर्षत: किसी भी सभ्य समाज और आधुनिक काल में अंधविश्वास जैसी प्रवृत्तियों के विरुद्ध कठोर आचरण की आवश्यकता है और बच्चों में शुरुआत से ही वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने का प्रयास करके एक तार्किक एवं चिंतनशील समाज का निर्माण किया जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print