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प्रश्न :
हाल ही में जारी ‘वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2020' के अनुसार, भारत विश्व के उन देशों में शामिल है, जो संभवतः वर्ष 2025 तक ‘वैश्विक पोषण लक्ष्यों’ को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकेंगे। भारत के संदर्भ में प्रस्तुत बिंदुओं की चर्चा करते हुए उन उपायों को सुझाएँ जो लक्ष्य प्राप्ति में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
29 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• रिपोर्ट के अहम बिंदु
• उपाय
• निष्कर्ष
वैश्विक पोषण रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में जिन चार मानकों के आंकड़े उपलब्ध हैं, भारत उनमें से किसी भी लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर सकेगा। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत कुपोषण के मामले में सबसे अधिक स्थानीय असमानता वाले देशों में से एक है।
हालाँकि पूर्व में भारत में बच्चों और किशोरों में कम वजन के मामलों की दर में कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई थी।
भारत के संदर्भ में रिपोर्ट के अहम बिंदु-
- इस रिपोर्ट में भारत की पहचान नाइजीरिया और इंडोनेशिया के साथ उन तीन सबसे खराब देशों में की गई है, जहाँ वृद्धिरोध के मामलों में सबसे अधिक असमानता देखी गई, इनमें विभिन्न समुदायों के बीच वृद्धिरोध के स्तर का अंतर लगभग चार गुना था।
- उत्तर प्रदेश राज्य में वृद्धिरोध के मामलों की दर 40% से अधिक थी, साथ ही उच्चतम आय वर्ग की तुलना में निम्नतम आय वर्ग के लोगों में ऐसे मामलों की दर दोगुने से भी अधिक थी।
- वर्ष 2019 में ‘केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के सहयोग से जारी ‘खाद्य एवं पोषण सुरक्षा विश्लेषण, भारत 2019’ रिपोर्ट में भी भारत में कुपोषण के मामलों पर चिंताजनक आँकड़े जारी किये गए थे।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में पिछड़े वर्गों से आने वाले लोगों में वृद्धिरोध के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि (अनुसूचित जाति में 43.6%, अनुसूचित जनजाति में 42.5% और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों में 38.6%) देखी गई थी।
उपाय:
पिछले कुछ वर्षों में भारत में कृषि उपज में भारी वृद्धि हुई है परंतु देश का प्रशासनिक तंत्र कुपोषण को समाप्त करने में सफल नहीं रहा है, इसका सबसे बड़ा कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में उन्नत किस्म के खाद्य पदार्थों की पहुँच में कमी, जागरूकता का अभाव और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की निष्क्रियता है।
देश के विकास में महिला की भूमिका को देखते हुए महिला सशक्तिकरण और जागरूकता के कार्यक्रमों में वृद्धि की जानी चाहिये।
ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम् (ANM) और अन्य स्थानीय कार्यकर्ताओं तथा आँगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिये पोषक भोजन की पहुँच में वृद्धि की जानी चाहिये। सरकार द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आँगनबाड़ी केंद्रों की पहुँच में विस्तार की बात कही गई है जो इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
प्रतिवर्ष देश में विभिन्न सरकारी खाद्य भंडार केंद्रों में उपयुक्त भंडारण संसाधनों या समन्वय के अभाव में बड़ी मात्रा में अनाज बर्बाद हो जाता है, अतः वितरण प्रणाली में सुधार के साथ-साथ भंडारण केंद्रों की नियमित जाँच कर उपयुक्त समाधान किये जाने चाहिये।
COVID-19 महामारी के बाद देश में एक बार पुनः ‘1 देश 1 राशनकार्ड’ की मांग तेज़ हुई है, इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे प्रवासी मज़दूरों को सस्ती दरों पर पोषक तत्त्वों से युक्त अनाज उपलब्ध कराने में सहायता प्राप्त होगी।
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