निम्नलिखित गद्यांश की व्याख्या कीजिये:
मैं फिर काम शुरू करूँगा-यहीं इसी गाँव में, मैं प्यार की खेती करना चाहता हूँ। मेरे आँसू से भी धरती पर प्यार के पौधे लहलहायेंगे। मैं साधना करूँगा, ग्रामवासिनी भारतमाता के मैले आँचल तले। कम से कम एक ही गाँव के कुछ प्राणियों के मुरझाये होठों पर मुस्कुराहट लौटा सकूँ। उनके हृदय में आशा और विश्वास को प्रतिष्ठित कर सकूँ।
27 Jul, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यसंदर्भः प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की आंचलिक उपन्यासधारा की सर्वोत्कृष्ट’ कृति “मैला आँचल” से उद्घृत है। जिसकी रचना वर्ष 1954 में फणीश्वरनाथ रेणु ने की।
प्रसंगः उपरोक्त पंक्तियाँ डॉ- प्रशांत और ममता के मध्य संवाद को दर्शाता है, जो उपन्यास के अंतिम पृष्ठ से ली गयी हैं। डॉ- प्रशांत आर्थिक स्वार्थों से मुक्त चिकित्सक है जो सामाजिक दायित्व बोध के आधार पर मेरीगंज गाँव में रहकर समाज की सेवा करना चाहता है।
व्याख्याः डॉ- प्रशांत कहता है कि मैं फिर से इसी गाँव में अपने काम की शुरूआत करना चाहता हूँ। मेरी इच्छा अपनी शिक्षा से पैसे कमाने की नहीं है, मैं तो समाज में प्रेम बाँटना चाहता हूँ। यह गाँव जो पिछड़ेपन और दुखों में आकंठ डूबा है, मैं उसी के भीतर मनुष्यों को हँसते हुए देखना चाहता हूँ। उन्हें विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि आज़ाद भारत के सपने टूटे नहीं हैं, अभी भी समाज के प्रति दायित्व निभाने की प्रेरणा लोगों में ज़िंदा है। भारतमाता तो गाँवों में ही रहती है, उसी के आँचल की छाँव में काम करते हुए मैं यथासंभव देश की सेवा करना चाहता हूँ।
विशेषः
1. इन प्रक्तियों में निराशा के विरूद्ध आशा की विजय दिखती है। लेखक दिखाता है कि एक छोटी सी चिंगारी भी भयानक अंधेरे को कैसे चीर सकती है।
2. डॉ. प्रशांत का चरित्र ‘महाभोज’ के मि. सक्सेना से मिलता-जुलता है। दोनों सामाजिक दायित्वों को निभाने के लिये व्यक्तिगत सुखों का त्याग करते हैं।
3. शिल्पगत सुंदरता का मूल आधार इसकी उपमा शैली या रूपक शैली है।