COVID-19 की महामारी से उत्पन्न हुई चुनौतियों के कारण देश के ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम’ (MSMEs) सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। MSME क्षेत्र की मुख्य चुनौतियों की चर्चा करें तथा इस क्षेत्र में सुधार हेतु कुछ व्यवहारिक उपाय सुझाएँ।
24 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • MSME क्षेत्र की चुनौतियां • इसमें सुधार हेतु उपाय |
वर्तमान में भारत के विभिन्न भागों में स्थित अनेक MSME लगभग 11 करोड़ लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराते हैं। आज देश में अधिकांश MSME पहले से ही तरलता की कमी से जूझ रहे थे परंतु लॉकडाउन के कारण व्यापार प्रभावित होने से इनकी समस्या और अधिक बढ़ गई है।
भारत में MSMEs की स्थिति देखें तो वित्तीय वर्ष 2018-19 के आँकड़ों के अनुसार, MSME के तहत भारत में लगभग 6.34 उद्यम सक्रिय हैं, इनमें से अधिकांश (लगभग 51%) देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। वर्तमान में MSMEs लगभग 11 करोड़ लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराते हैं हालाँकि इनमें से अधिकांश (लगभग 55%) रोज़गार शहरी क्षेत्रों में स्थित MSME द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इनमें से 12.5% अनुसूचित जाति, 4.1% अनुसूचित जनजाति और 49.7% अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित हैं।
वर्तमान में MSMEs की मुख्य चुनौतियाँ:
आँकड़ों का अभाव-
देश में सक्रिय MSMEs सामान्यतः बहुत ही छोटे स्तर पर कार्य करते हैं, जिसके कारण इनमें से अधिकांश का किसी प्रकार का पंजीकरण नहीं कराया गया है।
अधिकांश MSMEs, वस्तु और सेवा कर (GST) की पहुँच से बाहर है और वे किसी प्रकार का खाता बनाने, कर देने या अन्य नियमों का पालन करने आदि में भी अधिक सक्रिय नहीं हैं।
इस प्रक्रिया में उनकी कुछ बचत तो होती है परंतु संकट की स्थिति में किसी ठोस आँकड़े के अभाव में ऐसे उद्यमों को सहायता पहुँचा पाना सरकार के लिये भी एक चुनौती बन जाती है।
उदाहरण के लिये वर्तमान आर्थिक संकट के बीच कुछ विकसित देशों में सरकारों ने छोटे उद्यमों में मज़दूरी सब्सिडी और अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराया है, परंतु यह इसलिये संभव हो सका क्योंकि वहाँ छोटे उद्यमों के बारे में भी विश्वसनीय आँकड़े उपलब्ध थे।
आर्थिक चुनौतियाँ-
उपाय:
उपरोक्त के अलावा ऐसे में यदि सरकार की तरफ से MSME ऋण के लिये एक ‘क्रेडिट गारंटी’ जारी की जाती है तो यह MSMEs के लिये काफी मददगार साबित हो सकती है।