भारत के खाड़ी देशों के साथ न केवल व्यापारिक संबंध रहे हैं, बल्कि सांस्कृतिक व राजनैतिक संबंध भी रहे हैं। वर्तमान संदर्भों में भारत के लिये खाड़ी देशों का महत्त्व बताएं भारत भविष्य में किस प्रकार इस क्षेत्र में नये अवसरों की तलाश कर सकता है।
23 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका। • भारत के लिये खाड़ी देशों का महत्त्व। • भविष्य में नये अवसर । • निष्कर्ष। |
खाड़ी देशों के साथ भारत के न केवल व्यापारिक संबंध रहे हैं, बल्कि सांस्कृतिक व राजनैतिक संबंध भी रहे हैं। वर्तमान में खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय लोग कार्य कर रहे हैं। चूँकि इस समय खाड़ी देश विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा है, इसलिये इन देशों में कार्यरत भारतीय लोगों को भी विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के लिये खाड़ी देशों का महत्त्व -
भारत के लिये भविष्य में अवसर-
भारतीयों के लिये भले ही इस समय खाड़ी देशों में नौकरी के अवसर कम हो रहे हों या भारत सरकार को यहाँ से विदेशी मुद्रा कम मिल रही हो, लेकिन इन देशों में अर्थव्यवस्था के बदलाव की प्रक्रिया भारत के लिये बड़ा मौका भी है।
इन देशों ने दूसरे देशों में निवेश के लिये बड़े-बड़े फंड बनाए हैं। भारत पहला काम तो यही कर सकता है कि बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये खाड़ी देशों से ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को यहाँ आमंत्रित करे।
विजन-2030 के अंतर्गत सऊदी अरब की एक बड़ा वैश्विक निवेशक बनने की भी योजना है। भारत अगर सऊदी अरब के इस लक्ष्य में सहयोगी बनता है और भारी निवेश हासिल कर पाता है तो इससे देश के बंदरगाहों, सड़कों और रेल नेटवर्क का कायाकल्प हो सकता है।
सऊदी अरब व रूस के बीच वार्ता के विफल होने से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बनी हुई है, इनके निकट भविष्य में ऊपर जाने के आसार भी नहीं लग रहे हैं। यह ऐसा मौका है जब भारत अपना चालू घाटा कम कर सकता है और इससे जो बचत होगी उसे आर्थिक गतिविधियों को तेज़ करने में लगाया जा सकता है।
निष्कर्षतः भारत को खाड़ी देशों के साथ तालमेल के लिये नए चालकों को खोजने की आवश्यकता है। यह खोज स्वास्थ्य सेवा में सहयोग के साथ शुरू हो सकती है और धीरे-धीरे दवा अनुसंधान और उत्पादन, पेट्रोकेमिकल, भारत में बुनियादी ढाँचे के निर्माण और तीसरे देशों में कृषि, शिक्षा और कौशल के साथ-साथ अरब सागर में निर्मित द्विपक्षीय मुक्त क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों की ओर बढ़ सकती है।अंततः यदि भारत, खाड़ी सहयोग परिषद के मुक्त व्यापार क्षेत्र में शामिल हो जाता है, तो निश्चित ही ऐसे झटकों से बचने के लिये भारत और खाड़ी देशों के आर्थिक संबंधों में पर्याप्त विविधता लाई जा सकती है। भारत को इस संकट से बाहर निकलने के बाद अपनी ‘एक्ट वेस्ट नीति’ को विस्तार देना चाहिये।