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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    'किसी भी देश के आर्थिक विकास का मुख्य आधार उस देश का बुनियादी ढाँचा होता है। यदि बुनियादी ढाँचा ही कमज़ोर हो तो कितना भी प्रयास किया जाए व्यवस्था को मज़बूत नहीं बनाया जा सकता है। 'कथन के संदर्भ में वित्तीय समावेशन का परिचय देते हुए इससे होने वाले लाभ और इससे संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालें।

    21 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • वित्तीय समावेशन क्या है?

    • लाभ

    • चुनौतियां

    वित्तीय समावेशन कम आय वाले लोग और समाज के वंचित वर्ग को वहनीय कीमत पर भुगतान, बचत, ऋण आदि सहित वित्तीय सेवायें पहुँचाने का प्रयास है। इसे ‘समावेशी वित्तपोषण’ भी कहा जाता है।

    वित्तीय समावेशन का मुख्य उद्देश्य उन प्रतिबंधों को दूर करना है जो वित्तीय क्षेत्र में भाग लेने से लोगों को बाहर रखते हैं और किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वित्तीय सेवाओं को उपलब्ध कराना है।

    वित्तीय समावेशन से लाभ-

    विश्व बैंक की वैश्विक वित्तीय समावेशन डेटाबेस या ग्लोबल फाइंडेक्स रिपोर्ट-2017 के अनुसार, वर्ष 2014 में अनुमानित 53% भारतीय वयस्कों के अपेक्षा वर्तमान में 80% वयस्कों के पास एक बैंक खाता है।

    जहाँ एक ओर इससे समाज में कमज़ोर तबके के लोगों को उनकी ज़रूरतों तथा भविष्‍य की आवश्यकताओं के लिये धन की बचत करने, विभिन्‍न वित्तीय उत्‍पादों जैसे-बैंकिंग सेवाओं, बीमा और पेंशन उत्‍पादों आदि में भाग लेकर देश के आर्थिक क्रियाकलापों से लाभ प्राप्‍त करने के लिये प्रोत्‍साहन प्राप्‍त होता है।

    वहीं दूसरी ओर इससे देश को 'पूंजी निर्माण' की दर में वृद्धि करने में भी सहायता प्राप्‍त होती है। इसके फलस्वरूप होने वाले धन के प्रवाह से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को गति मिलने के साथ-साथ आर्थिक क्रियाकलापों को भी संवर्धन प्राप्त होता है।

    पूर्व में निजी वित्तीय संस्थान सीमित आय वाले ग्राहकों के साथ संलग्न नहीं थे, परंतु अब समय बदल गया है, और इस वर्ग के साथ भी निजी वित्तीय संस्थानों (पेटीएम, एयरटेल मनी और जियो मनी जैसे पेमेंट बैंक) की सक्रिय भागीदारी हुई है, क्योंकि उन्होंने यह महसूस किया है कि गरीबों को वित्तीय दायरे में लाना उनके व्यवसाय मॉडल के लिये भी फायदेमंद है।

    वितीय सेवाओं का एकीकरण जैसे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का जैम त्रयी योजना के साथ सम्मिलन लाभदायक प्रयोग सिद्ध हुआ।

    वित्तीय समावेशन से सरकार को सरकारी सब्‍सिडी तथा कल्‍याणकारी कार्यक्रमों में अंतराल एवं हेराफेरी पर रोक लगाने में भी मदद मिलती है, क्योंकि इससे सरकार उत्पादों पर सब्‍सिडी देने के बजाय सब्‍सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में अंतरित कर सकती है।

    संबंधित चुनौतियाँ -

    सभी की बैंकों तक पहुँच नहीं: बैंक खाते सभी वित्तीय सेवाओं के लिये एक प्रवेश द्वार हैं। लेकिन विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 190 मिलियन वयस्कों के पास बैंक खाता नहीं है, जिससे भारत, चीन के बाद गैर बैंकिंग आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

    डिजिटल डिवाइड: कम आय वाले उपभोक्ता जो डिजिटल सेवाओं तक पहुँचने के लिये आवश्यक तकनीक का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। इन लोगों में तकनीकी कौशल की भी कमी है।

    नीतियों के सुचारू क्रियान्वयन का अभाव: जन ​धन योजना के परिणामस्वरूप कई हज़ार निष्क्रिय खाते खुल गए हैं, जिनमें वास्तविक बैंकिंग लेनदेन कभी नहीं हुआ। ऐसी सभी गतिविधियाँ संस्थानों का खर्च बढ़ती हैं, और विशाल परिचालन लागत संस्थानों की वित्तीय स्थिति के लिये हानिकारक साबित होती हैं। इन विपरीत परिणामों से बचने के लिये, यह महत्त्वपूर्ण है कि सभी हितधारक इस तरह के कार्यक्रमों में उचित उद्देश्य के साथ भाग लें, न कि केवल औपचारिकता के लिये।

    अनौपचारिक और नकद आधारित अर्थव्यवस्था: भारत एक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था है, जो डिजिटल भुगतान अपनाने की दिशा में एक चुनौती है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में लगभग 81% व्यक्ति अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं। लेनदेन के लिये नकदी आधारित अर्थव्यवस्था पर उच्च निर्भरता के साथ एक विशाल अनौपचारिक क्षेत्र का संयोजन डिजिटल वित्तीय समावेशन के लिये एक बाधा बन गया है।

    वित्तीय समावेशन में लैंगिक अंतराल: ग्लोबल फाइंडेक्स रिपोर्ट-2017 के अनुसार, भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु के 83% पुरुषों के अपेक्षा 77% महिलाओं ने ही किसी वित्तीय संस्थान में खाते का संचालन किया। इस अंतराल के लिये सामाजिक-आर्थिक कारक उत्तरदायी है, जिसमें मोबाइल हैंडसेट की उपलब्धता और इंटरनेट डेटा की सुविधा महिलाओं की तुलना में पुरुषों के बीच अधिक है।

    निष्कर्षतः भारत में वित्तीय समावेशन की सफलता के लिये, एक बहुआयामी दृष्टिकोण होना चाहिये, जिसके माध्यम से मौजूदा डिजिटल प्लेटफॉर्म, बुनियादी ढाँचे, मानव संसाधन, और नीतिगत ढाँचे को मज़बूत किया जाए और नए तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा दिया जाए। यदि मौजूदा समस्याओं के समाधान के लिये पर्याप्त उपाय किये जाते हैं, तो वित्तीय समावेशन के द्वारा गरीबों को भी आर्थिक विकास के लाभ प्राप्त होंगे।

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