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प्रश्न :
भारत द्वारा मध्य एशियाई देशों को एक विस्तारित तथा रणनीतिक पड़ोस के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। मध्य एशियाई गणतंत्रों के संदर्भ में भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों की चर्चा करें, इस क्षेत्र में संपर्क स्थापित करने हेतु भारत द्वारा किये गये प्रयासों को रेखांकित करें।
16 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• चुनौतियाँ
• इस क्षेत्र में संपर्क हेतु भारत द्वारा किये जाने वाले प्रयास
• निष्कर्ष
हाल ही में भारत ने चाबहार बंदरगाह परियोजना में भाग लेने हेतु मध्य एशियाई गणतंत्रों को आमंत्रित किया। भारत द्वारा आर्थिक तथा नीतिगत मुद्दों पर बेहतर समन्वय हेतु एक क्षेत्रीय विकास समूह संगठन का भी प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा भारत ने मध्य एशिया के भू-आबद्ध देशों के साथ एयर कॉरिडोर्स के निर्माण हेतु एक वार्ता भी प्रस्तावित की है।
मध्य एशियाई गणतंत्रों के संदर्भ में भारत मके समक्ष लाने वाली चुनौतियाँ निम्नवत है:
- मध्य एशिया भू-आबद्ध क्षेत्र है जिसके कारण मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध बाधित हुए ।
- इसके अतिरिक्त भारत किसी भी मध्य एशियाई देश के साथ सीमा साझा नहीं करता ।
- चीन की उपस्थिति- मध्य एशिया सिल्क रोड़ इकॉनॉमिक बेल्ट पहल का भाग है। हालाँकि शिनजियांग प्रांत के उइगर क्षेत्र में इस्लामिक कट्टरता के खतरे ने चीन को मध्य एशियाई सुरक्षा मामलों में सुदृढ़ व्यवस्था करने हेतु प्रेरित किया है, जिससे भारत के हित अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए है।
- इसके आलावा इस क्षेत्र में युवाओं की बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ आर्थिक अवसर सीमित हुए है, बढ़ते अपराध की तस्करी के साथ ही अनेक घरेलू चुनौतियाँ विद्यमान है।
इस क्षेत्र में संपर्क हेतु भारत द्वारा किये जाने वाले प्रयास:
- कनेक्ट सेंट्रल एशिया पॉलिसी की शुरुआत वर्ष 2012 में की जिसके अंतर्गत सैन्य प्रशिक्षण, खूफिया सूचनाअेां का आदान-प्रदान,आतंकवाद विरोध के प्रयासों में समन्वय,ऊर्जा क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ाने की बात की गई।
- शंघाई सहयोग संगठन की पूर्ण सदस्यता के साथ, भारत तथा मध्य एशियाई देशों के शीर्ष नेतृत्व के मध्य अधिक शीर्ष स्तरीय संबंध स्थापित होंगे।
- तापी प्रोजेक्ट -यह एक प्रस्तावित प्राकृतिक गैस पाइप लाइन है जो गलकिनिश (तुर्कमेनिस्तान)-हेरात-कंधार-मुल्तान-फज़िल्का (पाक-भारत सीमा) से होकर गुजरेगी।
- भारत यूरेशियन इकॉनामिक यूनियन के साथ एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते पर वार्ता कर रहा है।
उपरोक्त के अतिरिक्त भारतीय तकनीकी तथा आर्थिक सहयोग कार्यक्रम एक प्रभावशाली उपकरण है। इसके तहत इन देशों के युवा पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगें तथा मानव क्षमता विकास से लाभान्वित होगें।
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