- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
फ़ेक न्यूज़ की चुनौतियों को स्पष्ट करते हुए इससे निपटने के उपायों पर प्रकाश डालें।
15 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• फ़ेक न्यूज़ की चुनौतियाँ
• निपटने के उपायों
• निष्कर्ष
पूर्ण या आशिंक रूप से असत्य डेटा, सूचना, रिपोर्ट तथा समाचारों आदि को फ़ेक न्यूज़ की संख्या दी जाती है। विभिन्न सोशल साइट्स का इस्तेमाल करके फ़ेक न्यूज़ का प्रचार-प्रसार किया जाता है जिससे न केवल मीडिया की स्वतंत्रता का दुरुपयोग होता है बल्कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी अधिकार प्रभावित होता है।
चुनौती:
- प्रमाणिक समाचार और झूठे सामाचार एवं उसके मूल स्रोत के मध्य अंतर करना मुश्किल है।
- झूठे समाचारों के लिये किसको ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिये। सामग्री तैयार करने वाले को सामग्री भेजने वाले को या इंटरनेट प्लेटफॉर्मों को।
- झूठे समाचारों का विनियमन और अधिक कठिन हो जाता है क्योंकि इसमें बोलने की स्वतंत्रता को विनियम करने का संवेदनशील मुद्दा और उपभोक्ता के डेटा को गोपनीयता की रक्षा में संबंधित मुद्दे शामिल होते हैं।
उपाय:
- यूनाइटेट किंगडम की संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि झूठे समाचारों के खतरे को कम करने के लिये सरकार को इन प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा किये गए सुरक्षा उपायों और अपनाई जाने वाली कलन-विधियों का ऑडिट करना चाहिये।
- जर्मनी का नेटवर्क प्रवर्तन अधिनियम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ‘झूठे समाचार’ विशेषकर घृणा फैलाने वाली सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने की अनुमति देता है।
- भारत के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में एक प्रेस विज्ञापित में पत्रकारों में प्रत्यावन से संबंधित दिशा निर्देशों में संशोधन करने की घोषणा की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि झूठे समाचार की रिपोर्टिंग के अरोपी पत्रकारों से प्रेस प्रमाणपत्र वापस ले लिये जाएं। पूरे देश में कड़ी प्रतिक्रिया के बाद प्रधानमंत्री ने इस प्रेस विज्ञाप्ति को वापस ले लिया।
निष्कर्षतः भारत के पास झूठे समाचारों के खतरे से निपटने के लिये उचित व्यवस्था नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कानूनी ढाँचे को मजबूत करने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को जवाबदेह बनाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम 2018 का मसौदा जारी किया है। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता 1860 में घृणजनक भाषण तथा उकसावे पर अंकुश लगाने के प्रावधान है, जिसका उपयोग झूठे समाचार फैलाने वालों को दंडित करने के लिये किया जा सकता है। इसलिये, यह उचित समय है कि झूठे समाचारों के मुद्दे का समाधान किया जाए।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print