‘‘वि-औपनिवेशीकरण से पूर्व उपनिवेश एक आरोपित प्रक्रिया थी, लेकिन बाद के काल में ऐच्छिक रूप से उपनिवेशवाद को स्वीकार किया जाने लगा’’ टिप्पणी करें।
13 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • उपरोक्त कथन का विश्लेष्ण करते हुए बताएं की वि-औपनिवेशीकरण से पूर्व उपनिवेश एक आरोपित प्रक्रिया थी लेकिन बाद के काल इसे ऐच्छिक रूप से उपनिवेशवाद कहना कहाँ तक उचित है। |
वि-औपनिवेशीकरण का आशय औपनिवेशिक स्वतंत्रता से है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उपनिवेशवादी प्रवृत्ति पर रोक लगी और एशिया तथा अफ्रीका के साथ-साथ लैटिन अमेरिकी देश स्वतंत्र हुए। इन स्वतंत्र देशों में राष्ट्रवाद का उदय हुआ। स्थानीय संस्कृतियों का आपसी समर्थन औपनिवेशिक स्वायत्तता के लिये प्रयत्नशील हुआ तथा स्पष्ट रूप से वहाँ नवोदित राज्यों की उपस्थिति दर्ज हुई।
इन राष्ट्रों ने स्वतंत्रता अवश्य प्राप्त की किंतु अपने साम्राज्य को संचालित करने के लिये किसी प्रकार की नीति का विकल्प नहीं रखा। वहीं कारण था कि इन्होंने पूर्व औपनिवेशिक व्यवस्था के अनुरूप जिस संसदीय स्वरूप को स्वीकृत किया।
वह वहीं की परिस्थितियों के अनुकूल नहीं था। इस स्थिति में पुन: विरोध हुआ और विभिन्न देशों में लोकतंत्र के स्थान पर निरंकुश सैन्य तंत्र की स्थापना हुई। इस तानाशाही प्रवृत्ति में इस देशों के विकास की किसी भी संभावना को नहीं देखा जा सकता। यही कारण था कि पूंजीवादी राष्ट्रों के प्रति इन देशों का पुन: आग्रह बढ़ा और पुन: औपनिवेशिकता की ओर इनकी अर्थव्यवस्था बढ़ने लगी।
आरंभ में पूंजीवादी देशों ने इन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की किंतु इस सहायता का उपयोग मानवीय तथा तकनीकी विकास के स्थान पर प्रशासकों द्वारा निजी उपयोग हेतु किया गया। वे निश्चित समय पर ऋण लौटाने में भी असमर्थ थे। अत: विभिन्न देशों ने अपनी नीतियों को इन पर पुन: लागू किया। यहाँ भले ही प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं था, परंतु अधिक नियंत्रण अवश्य स्थापित हो गया। इसी प्रकार का नियंत्रण स्वतंत्रता पूर्व निर्दिष्ट था किंतु तब इन देशों को प्रत्यक्ष विरोध का सामना करना पड़ता था लेकिन अब वैधानिक स्वीकार्यता के आधार पर आर्थिक नियंत्रण की स्वीकार कर लिया गया।
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा यहाँ विकास हेतु विभिन्न योजनाएँ संचालित की जा रही है। किंतु स्थानीय जन समर्थन के अभाव में यहाँ विकास कार्यों की गति शिथिल है। इसलिये मानव विकास सूचकांक, गरीबी, कुपाषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, तकनीकी विकास आदि में ये देश अधिक पिछड़े हुए हैं।