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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    यदि हम सत्य एवं अहिंसा के रास्ते स्वराज चाहते हैं तो रचनात्मक प्रयासों द्वारा एकदम नीचे से ऊपर की ओर धीरे-धीरे लेकिन लगातार निर्माण कार्य करना ही एकमात्र मार्ग है इस कथन के संदर्भ में गांधी जी द्वारा प्रस्तुत 18 बिंदुओं के कार्यक्रमों की चर्चा करें।

    11 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु की विस्तृत चर्चा

    गांधी जी ने अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले की सलाह पर संपूर्ण भारत की यात्रा की तहत 18 बिंदुओं को रेखांकित किया जिसके तहत स्वराज प्राप्ति की राह को आसान बनाया जा सकता था। यह कार्यक्रम निम्नलिखित बिंदु थे-

    • सांप्रदायिक एकता: यही राष्ट्रीय एकता की बुनयिाद है।
    • छूआछूत का उन्मूलन: छूआछूत या अस्पृश्यता व्यवस्थागत हिंसा का सबसे खराब रूप है और धार्मिक मान्यता के नाम पर की जा रही क्रूरता का प्रदर्शन है।
    • मद्य निषेध: उन्होंने कहा कि यदि एक दिन के लिये उन्हें तानाशाह बना दिया जाए तो वे सबसे पहले वे बिना कोई मुआवजा दिये शराब को सभी दुकानें बंद कर देगें।
    • खादी आत्मनिर्भरता, स्वावलंबन तथा स्वदेशी का प्रतीक है।
    • अन्य ग्रामोद्योग: गांधी जी ने सौरमंडल में सूर्य की तरह खादी को केंद्र में रखा। और अन्य ग्रामोद्योग ग्रहों की तरह उसके इर्द-घूमते रहे।
    • गाँवों की सफाई: हमें अपने गाँवों को हर तरह से सफाई का नमूना बना लेना चाहिये।
    • नई या प्राथमिक शिक्षा: उन्होंने शिक्षा में अपने प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में फनीनिक्स बस्ती के बच्चों के साथ शुरू किये। गांधीजी ने कहा कि नई शिक्षा, ‘‘शरीर और मस्तिष्क दोनों का विकास करती है और बच्चे को उसकी मिट्टी से जोड़े रखती है। साथ ही, भविष्य की ऐसी शानदार कल्पना देती है जो स्कूल में पढ़ना शुरू करने के साथ ही उसके मन में समा जाती है।’’
    • प्रौढ़ शिक्षा: प्रौढ़ शिक्षा निरक्षरों को पढ़ना-लिखना सिखने भर से पूरी नहीं होती। गांधीजी कहते थे, ‘‘यदि मुझे प्रौढ़ शिक्षा का ज़िम्मा दे दिया जाए तो मैं प्रौढ़ या वयस्क विद्यार्थियों को इस देश की महानता और विशालता की जानकारी देने के साथ शुरुआत करूँगा।’’
    • महिलाएँ: गांधीजी ने दुनिया को महिलाओं की ताकत दिखाई। उनका मानना था- महिलाओं को कमज़ोर नहीं कहा जाना चाहिये, वास्तव में अपने क्षेत्र में बेहद मज़बूत हैं, जिसमें पुरुष बहुत कमज़ोर हैं। वे यह भी कहते थे कि स्त्री और पुरुष बराबर नहीं हैं बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।
    • स्वास्थ एवं स्वच्छता में शिक्षा: स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की जानकारी रखने की कला खुद ही अध्ययन और अभ्यास का अलग विषय है। सुव्यवस्थित समाज में नागरिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के कानूनों को जानते हैं और उनका पालन करते हैं।
    • प्रांतीय भाषाएँ: गांधीजी हमेशा जोर देते थे कि प्रत्येक व्यक्ति को मातृभाषा की मदद से सीखना चाहिये। गांधीजी कहते थे, ‘‘अंग्रेज़ी भाषा को अपनी मातृभाषा पर तरजीह देने की हमारी प्रवृत्ति ने शिक्षित एवं राजनीतिक मानस वाले वर्गों एवं आम जनता के बीच गहरी खाई पैदा कर दी है जिससे भारत की भाशाओं को दरिद्रता सहनी पड़ी है।’’
    • राष्ट्रभाषा: ‘‘पूरे भारत में संवाद के लिये हमें भारतीय भाषाओं में से कोई ऐसी भाषा चाहिये जिसे सबसे बड़ी संख्या में लोग जानते और समझते हों और जिसे दूसरे भी आसानी से समझ सकें... हिंदी ही राष्ट्रभाषा है।’’
    • आर्थिक असमानता: आर्थिक समानता अहिंसा भरी स्वाधीनता की असली कुंजी है। आर्थिक समानता के लिये काम करने का मतलब है पूंजी और श्रम के बीच पुराने टकराव को समाप्त करना। इसका मतलब जिन धनी हाथों में देश की अधिकतम संपदा है उन्हें नीचे लाना और आधे पेट खाने वाले लोखों भूखे-नंगे लोगों का स्तर ऊपर उठाना है।’’
    • किसान: गांधीजी की ग्राम स्वराज की योजना में कृषि ही सभी गतिविधियों का केंद्र है। उन्होंने चंपारण, खेड़ा, बारदोली और बोरसाड में अपने अनुभव बताते हुए कहा, ‘‘सफलता का रहस्य इसी में छिपा है कि किसानों की निजी और झेली हुई परेशानियाें का राजनीतिक उद्देश्यों के लिये दुरूपयोग नहीं किया जाए।’’
    • मज़दूर: श्रम शक्ति को विकास बाधित करने के लिये नहीं बल्कि सभी पक्षों के सर्वांगीण विकास के लिये संगठित किया जाना चाहिये।
    • आदिवासी: प्रकृति माँ की रक्षा करने के लिये हमें आदिवासियों और उनकी परंपराओं की रक्षा करनी होगी।
    • कुष्ठ रोगी: गांधी ने कहा, ‘‘यदि भारत में नया जीवन धड़कता है, यदि हम सभी सच्चे और अहिंसक तरीकों से यथासंभव शीघ्रता से आज़ादी प्राप्त करने के लिये गंभीर होते हैं तो यहाँ ऐसा कोई भी कुष्ठ रोगी या भिखारी नहीं होगा जिसका ध्यान नहीं रखा जाए या जिसे गिना नहीं जाए।’’
    • विद्यार्थी: गांधी कहते थे, ‘‘देश के भावी नेता इन्हीं युवकों और युवतियों के बीच से निकलेंगे। दुर्भाग्य से उन पर हरेक प्रकार का प्रभाव डाला जा रहा है।’’
    • उपरोक्त कार्यक्रमों के माध्यम से गांधी नवीन भारत के निर्माण का आधार मानते थे।

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