संचार माधयमों की भाषा के रूप में हिंदी कि कैसे सशक्त बनाया जा सकता है? सुचिंतित सुझाव दीजिए।
10 Jul, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • हिंदी को संचार माध्यमों की भाषा के रूप में सशक्त करने के कुछ सुझाव • निष्कर्ष |
वर्तमान युग एवं भावी युग सूचना एवं प्रौद्योगिकी का है। अतः हिंदी को इस हेतु पूर्णतया समर्थ बनाने हेतु सुनियोजित प्रयासों की आवश्यकता है।
सर्वप्रथम तो एक ऐसी समिति का गठन करना चाहिये जो संचार माध्यमों के अनुरूप हिंदी को ढालने का कार्य निरंतर करती रहे। इस समिति में हिंदी भाषा के विद्वानों और सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिये।
आज इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों के लिये हिंदी की सरल-सुगम पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण की भी आवश्यकता है। इसे बनाते समय बोलचाल की भाषा से परहेज नहीं किया जाना चाहिये। इन शब्दों को जनसामान्य में प्रचलित करवाने हेतु खेल, फिल्म आदि क्षेत्रों के लोकप्रिय व्यक्तियों की मदद ली जानी चाहिये। टीवी, रेडियो आदि माध्यमों पर उनके मुख से बार-बार उच्चरित होने की स्थिति में जनसामान्य शीघ्र ही इन शब्दों को आत्मसात कर लेगा।
सभी संचार माध्यमों में भाषा सलाहकार/समन्वय/अधिकारी जैसे पद सृजित किये जाने चाहिये तथा संबंधित विषय एवं भाषा के विशेषज्ञों की नियुक्ति की जानी चाहिये।
आज आवश्यकता के अनुरूप प्रादेशिक भाषाओं के शब्दों को भी अपनाने की आवश्यकता है। इससे हिंदी का भी सामर्थ्य बढ़ेगा साथ ही, प्रादेशिक भाषाओं की गरिमा में भी वृद्धि होगी। प्रादेशिक भाषाओं के साथ अंग्रेजी के बहु प्रचलित शब्दों को भी अपनाने से परहेज नहीं किया जाना चाहिये।
कई अन्य क्षेत्रों की तरह व्यवसायिक शिक्षा की दृष्टि से हिंदी में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के विकास की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है। अतः इस क्षेत्र में भी सूचना के संप्रेषण के लिए हिंदी को सशक्त किया जाना चाहिये ताकि आगे भी हिंदी का इस्तेमाल प्रत्येक क्षेत्रों में सुगमता पूर्वक हो सके।
भाषिक शुद्धता के आग्रहों को त्यागने तथा हिंदी भाषा के फलक को विस्तृत करने की आवश्यकता है। कई बार संस्कृत के दुर्बोध शब्दों की अपेक्षा अंग्रेजी के शब्द अधिक संप्रेषणिय होते हैं इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।