- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- संस्कृति
- भारतीय समाज
-
प्रश्न :
आज़ादी के सात दशक बाद के भी हमारा देश अनेक सामाजिक बुराइयों का शिकार है जिसके कारण गांधी के स्वराज के सपने को साकार करने की गति धीमी हो गयी है। उक्त समस्या के संदर्भ में महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘भारत छोड़ो आंदोलन-2’ किस प्रकार सहायक सिद्ध हो सकता है । चर्चा कीजिये।
03 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका।
• सामाजिक बुराइयों एवं इसके कारणों की चर्चा करें ।
• भारत छोड़ो आंदोलन-2 कैसे इन बुराइयों को दूर करने में में सहायक सिद्ध हो सकता है।
• निष्कर्ष ।
आज़ादी के सात दशक बाद के भी हमारा देश अनेक सामाजिक बुराइयों का शिकार है जिसके कारण गांधी के स्वराज के सपने को साकार करने की गति धीमी हो गयी है। आज हम उन सामाजिक समस्याओं को नज़रअंदाज़ नही कर सकते जो देश को पीछे खिंचने का काम कर रही है।
19वीं शताब्दी में शुरू हुए सामाजिक-धार्मिक पुनर्जागरण के फलस्वरूप शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं तार्किकता का प्रचार-प्रसार आरंभ हुआ जिससे विभिन्न सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध आवाज उठाने की शुरुआत हुई।
परंतु आज़ादी के सत्तर साल बाद, आज भी भारत में कई सामाजिक बुराइयां व्याप्त हैं , जैसे- अंधविश्वास, दहेज प्रथा, डायन घोषित कर महिलाओं की हत्या , किसान आत्महत्या, पानी की बर्बादी, भ्रष्टाचार, युवाओं में नशे की समस्या आदि जिसके कारण भारत के समाज का सर्वांगींण विकास नहीं हो पाया है ।
यदि इन सामाजिक बुराइयों के कारणों पर प्रकाश डालें तो ये निम्नलिखित हैं:
- राजनीतिक दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी एवं धार्मिक कट्टरवादी संस्थाओं से गठजोड़ के कारण इन्हें समाप्त करना कठिन है
- आज शिक्षित तथा अशिक्षित दोनों ही प्रकार के लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव एवं तर्क-वितर्क की कमी देखी जा सकती है ।
- उपरोक्त के आलावा अशिक्षा का प्रसार एवं जागरूकता की कमी आदि।
उपरोक्त कारणों के परिणामस्वरूप आज भी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को हिंसा का शिकार होना पड़ता है तथा पंसारे, दाभोलकर आदि जैसे लोगों की हत्या तक कर दी जाती है।
उपरोक्त समस्याओं को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन-2, ‘स्वराज से सुराज’ आंदोलन शुरू किया। यह एक जागरूकता आंदोलन है तथा इसमें विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से स्वतंत्रता पर ज़ोर दिया गया साथ ही जनभागीदारी के माध्यम से इन बुराइयों दूर कर सभी मोर्चों पर समावेशी प्रगति प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है जिससे ‘स्वराज से सुराज’ की प्रक्रिया को तीव्र किया जा सके।
निष्कर्षत: कह सकते हैं कि भारत छोड़ो आंदोलन-2 के माध्यम से एक बेेहतर परिणाम देखने को मिलेगा तथा साथ ही, इसे आज अन्य राज्यों द्वारा भी शुरु किये जाने की भी ज़रूरत है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print