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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आदिकालीन काव्य अपनी परिस्थितियों की उपज थीं। चर्चा कीजिये।

    02 Jul, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • आदिकालीन पृष्ठभूमि

    • काव्य पर आदिकालीन पृष्ठभूमि का प्रभाव

    • निष्कर्ष

    साहित्य का वातावरण शून्य में निर्मित नहीं होता है। साहित्यिक रचनाओं के पीछे ऐतिहासिक शक्तियों और सामाजिक संस्थाओं का योगदान होता है। अतः आदिकालीन साहित्य पर समाजिक, आर्थिक गतिविधियों, धार्मिक विचार इत्यादि द्वारा पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करना ज़रूरी है।

    7वीं-8वीं शताब्दी से 12 वीं शताब्दी तक के राजनीतिक घटनाचक्र ने हिंदी साहित्य को भाषा और भाव दोनों तरह से प्रभावित किया। इस युग में केंद्रीय सत्ता का ह्रास हुआ एवं छोटे-छोटे राज्यों का उदय हुआ। जिस कारण संस्कृत भाषा की केंद्रीयता भी समाप्त होने लगी एवं साहित्य रचनाएँ आम बोलचाल की भाषा में होने लगी। प्राकृत व अपभ्रंश को महत्व दिया जाने लगा।

    ना केवल राजनीतिक स्तर पर क्षेत्रीय अस्मिता का वर्चस्व बढ़ा बल्कि भाषा के स्तर पर भी हिंदी, बांग्ला, असमिया आदि भाषा के निर्माण की प्रवृत्ति बढ़ी। राज दरबार में पांडित्य प्रदर्शन के स्थान पर अनुभव की जीवंतता अनिवार्य हो गई। चारण युद्ध क्षेत्र में अनुभव प्राप्त करते थे इसलिए उनकी रचना में अनुभूति की वास्तविकता होती थी। आदिकाल का रासो साहित्य इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।

    इस युग में चार वर्ण थे तथा अनेक जातियों एवं जातियों में बँटकर भारत सामाजिक आदर्श खो चुका था। जिस कारण कुछ वर्गो एवं जातियों ने ब्राह्मणों में वैदिक परंपरा के कर्मकांडों को चुनौती देने की कोशिश की इसका जीवंत उदाहरण सिद्ध-नाथ जैन साहित्य में मिलता है। केंद्रीय सत्ता के ह्रास के कारण सामंती शासन की शुरुआत हुई जिस कारण स्त्रियों की दशा में और गिरावट आई न केवल समाज बल्कि धर्म के क्षेत्र में भी देवदासी प्रथा अपने चरम पर था। इसी कारण सिद्धों में जहाँ नारी भोग की वस्तु समझी गई तो वहीं नाथों में त्याज्य मानी गई।

    केंद्रीय सत्ता समाप्त होने के कारण अखिल भारतीय व्यापार का भी ह्रास हो रहा था। नगर उजाड़ हो रहे थे। इससे संपर्क सूत्र कमजोर हो गया था एवं सामान्य संपर्क भाषा का विकास अवरुद्ध हो गया। इसलिए प्रादेशिक विविधता साहित्य का आधार हो गए। 

    इस समय बौद्ध धर्म का विकास हीनयान, वज्रयान इत्यादि शाखाओं में होने लगा था। बौद्ध धर्म की शाखाओं में मंत्र, तंत्र, हठयोग आदि के साथ पंच मकारों, मांस, मिथुन, मत्स्य, मद्य, मुद्रा को भी विशेष स्थान प्राप्त होता जा रहा था। जिस कारण समाजिक क्षति हुई। 

    इस प्रकार हम देखते हैं धर्म, सामाजिक संस्थाएँ, राजनीतिक स्थिति इत्यादि मिलकर आदिकालीन साहित्य की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं।

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