विश्व के अन्य देशों के समान वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण वर्ष 2020 में भारत की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का विश्लेषण करते हुए इस समस्या के समाधान में सरकार के द्वारा किये जा रहे प्रयासों का मूल्यांकन कीजिये।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोणः
• भूमिका।
• भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष विद्यमान चुनौतियां।
• समस्या के समाधान में सरकार के द्वारा किये जा रहे प्रयास।
• निष्कर्ष।
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हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा कि वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था तकरीबन 1 प्रतिशत तक कम हो सकती है। साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि यदि बिना पर्याप्त राजकोषीय उपायों के आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबंध और अधिक बढ़ाया जाता है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था और अधिक प्रभावित हो सकती है। विश्व के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर मात्र 5 प्रतिशत रह जाएगी, तो वहीं 2020-21 में तुलनात्मक आधार पर अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी जो घटकर मात्र 2.8 प्रतिशत रह जाएगी।
वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियाँ विद्यमान हैं -
- सकल घरेलू उत्पाद: विभिन्न रेटिंग एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिये अपने संशोधित अनुमानों में जीडीपी वृद्धि दर में उल्लेखनीय कमी का अनुमान लगाया है। उदाहरण के लिये इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट ने हाल ही में भारत के विकास पूर्वानुमान को संशोधित करके 6 प्रतिशत से 2.1 प्रतिशत कर दिया है।
- रिवर्स माइग्रेशन: लॉकडाउन के कारण निर्माण, विनिर्माण और तमाम आर्थिक गतिविधियों के बंद होने से प्रवासी मज़दूर महानगरों से अपने गाँव की ओर लौट रहे हैं। जिससे महानगरों की आर्थिक गतिविधियाँ लॉकडाउन में छूट देने के बावज़ूद सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पा रही हैं। इन महानगरों आने वाले कुछ समय तक मानव संसाधन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मांग में गिरावट: लॉकडाउन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि गतिविधियाँ ठप्प हैं परिणामस्वरूप कृषकों की आय समाप्त हो गई है। कृषकों की आय समाप्त होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था से उत्पन्न होने वाली मांग तेज़ी से घट रही है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन और नाबार्ड के अखिल भारतीय वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों से कृषि के दौरान ग्रामीण परिवारों की आय स्थिर रही है।
- ग्रामीण बाज़ार की तालाबंदी: वैश्विक महामारी और जारी लॉकडाउन के कारण ग्रामीण बाज़ार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बाज़ार बंद होने के कारण थोक कृषि, बागवानी और डेयरी उत्पादन से संबंधित आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह से प्रभावित हुई है। जिसके कारण किसान अपनी उपज को न्यूनतम मूल्य पर बेचने में असमर्थ हैं।
- न्यून कृषि गतिविधियाँ: पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे कृषि संपन्न राज्यों में व्यापक तौर पर कृषि कार्य किया जाता है, रिवर्स माइग्रेशन के कारण इन राज्यों में खड़ी फसल को काटने के लिये पर्याप्त मज़दूर नहीं मिल पा रहे हैं जिससे खड़ी फसल बर्बाद हो गई है और अब किसान अगली फसल की बुवाई नहीं करना चाहते हैं।
- उत्पादन में कमी: लॉकडाउन के कारण उद्योगों में काम न होने से उत्पादन में गिरावट हुई है। किंतु लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद भी मानव संसाधन की आपूर्ति न हो पाने के कारण इन उद्योगों में पुनः उत्पादन होने की संभावना काफी कम है।
उपरोक्त समस्याओं के मद्देनज़र सरकार के द्वारा निम्नलिखित प्रयास किए गये हैं -
- भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।
- यह पैकेज COVID-19 महामारी की दिशा में सरकार द्वारा की गई पूर्व घोषणाओं तथा RBI द्वारा लिये गए निर्णयों को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये का है।
- यह आर्थिक पैकेज भारत की ‘सकल घरेलू उत्पाद’ के लगभग 10% के बराबर है। पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- सरकार द्वारा पैकेज के तहत घोषित प्रत्यक्ष उपायों में सब्सिडी, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, वेतन का भुगतान आदि शामिल होते हैं। जिसका लाभ वास्तविक लाभार्थी को सीधे प्राप्त होता है।
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग तथा अन्य क्षेत्रों के लिये सरकार द्वारा विभिन्न क्रेडिट गारंटी योजनाओं की घोषणा की गई है।
निष्कर्षतः भारत सरकार को स्वास्थ्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हुए लगातार विकास की गति का अवलोकन करने की आवश्यकता है।