वैश्विक महामारी COVID-19 के बीच ताइवान दक्षिण चीन सागर में संयुक्त राज्य अमेरिका व चीन के बीच तनाव का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। चीन द्वारा प्रतिपादित ‘एक चीन नीति’ तथा ‘एक देश दो प्रणाली’ की चर्चा करें भारत का इस संदर्भ में क्या दृष्टिकोण है?
01 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • एक चीन नीति • एक देश दो प्रणाली • भारत का इस संदर्भ में क्या दृष्टिकोण |
वैश्विक महामारी COVID-19 से जुड़ी जानकारी छिपाने के मुद्दे पर चीन आज सवालों के घेरे में आ गया है। इससे वैश्विक व्यवस्था तथा जनता का ध्यान भटकाने के लिये चीन का शीर्ष नेतृत्व अब राष्ट्रवाद के बहाने भारत तथा अन्य देशों के साथ सीमा पर लगातार तनाव बढ़ा रहा है। ताइवान पर दबाव बढ़ाने के लिये चीन ने दक्षिण चीन सागर में एक नौ-सैन्य अभ्यास प्रारम्भ किया है। इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी दक्षिण चीन सागर में अपने विमानवाहक पोत तैनात कर दिया है, वैश्विक महामारी COVID-19 के बीच ताइवान दक्षिण चीन सागर में संयुक्त राज्य अमेरिका व चीन के बीच तनाव का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है।
एक देश दो प्रणाली- डेंग शियाओपिंग द्वारा वर्ष 1970 के आसपास देश के शासन की बागडोर संभालने के बाद एक देश दो प्रणाली नीति प्रस्तावित की गई थी। डेंग की इस योजना का मुख्य उद्देश्य चीन और ताइवान को एकजुट करना था। इस नीति के माध्यम से ताइवान को उच्च स्वायत्तता देने का वादा किया गया था। इस नीति के तहत ताइवान चीनी संप्रभुता के अंतर्गत अपनी पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली का पालन कर सकता है, एक अलग प्रशासन चला सकता है और अपनी सेना रख सकता है। हालाँकि ताइवान ने कम्युनिस्ट पार्टी के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
एक चीन नीति- यह चीन के उस पक्ष का कूटनीतिक समर्थन है कि विश्व में सिर्फ एक चीन है और ताइवान चीन का ही एक हिस्सा है। एक नीति के तौर पर इसका अर्थ है कि ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ (चीनी जन-गणराज्य या पी.आर.सी.,जो चीन का मुख्य भू-भाग है) से कूटनीतिक संबंधों के इच्छुक देशों को ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ (चीनी गणराज्य या आरओसी यानी ताइवान) से संबंध तोड़ने होंगे।
इस नीति के तहत अधिकांश देशों के औपचारिक संबंध ताइवान के बजाय चीन के साथ हैं। ताइवान को चीन अपने से टूटकर अलग प्रदेश मानता है, जो एक दिन मुख्य चीन में मिल जाएगा। यद्यपि ताइवान की सरकार का यह मानना है कि यह एक स्वतंत्र देश है, जो औपचारिक रूप से ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ कहा जाता है, लेकिन इस नीति (एक चीन नीति) के कारण ताइवान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पृथक् पड़ गया है।
भारत का दृष्टिकोण- चीन के कई पड़ोसियों की तरह भारत ने भी हालिया वर्षों में चीनी विदेश नीति के अधिक स्वीकारात्मक और राष्ट्रवादी विचार को ही अपनाया है। इन द्विपक्षीय संबंधों में कई बार घर्षण उत्पन्न हुआ, जैसे–विवादित सीमाओं पर चीन द्वारा भारत में घुसपैठ करना, पाकिस्तान आधारित आतंकवादियों पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आरोपित प्रतिबंधों को रोकने के चीन के प्रयासों के बाद और भारतीय प्रधानमंत्री एवं दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा, जिसके अधिकतर हिस्से को चीन के द्वारा ‘दक्षिणी तिब्बत’ कहा जाता है, आदि। हाल ही में ताइवान से तनाव के क्रम में चीन ने भारत से एक चीन नीति का समर्थन करने की अपील की है। भारत को इस स्थिति में चीन को कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के ऊपर भारतीय संप्रभुता को स्वीकार करने के लिये विवश करना होगा।