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प्रश्न :
मनुष्यों के साथ हमेशा उनको, अपने आप में ‘लक्ष्य’ मानकर व्यवहार करना चाहिये, कभी भी उन्हें केवल ‘साधन’ मात्र नहीं मानना चाहिये।’’ वर्तमान वैश्वीकृत तकनीकी-आर्थिक समाज के संदर्भ में इस कथन के निहितार्थों को समझाते हुए इसका अर्थ तथा महत्त्व स्पष्ट कीजिये।
25 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• उपरोक्त कथन वर्तमान परिस्थितियों में किस सीमा तक प्रासंगिक
• निष्कर्ष।
18वीं सदी के प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक कांट का यह विचार आज भी अत्यंत प्रासंगिक है- ‘‘सभी मनुष्य ‘साध्य’ है, ‘साधन’ नहीं।’’ इसका सरल अर्थ यह है कि हमें अपने फायदे के लिये किसी व्यक्ति का इस्तेमाल या शोषण नहीं करना चाहिये साथ ही किसी व्यक्ति पर अपने निर्णय थोपने की बजाय उसे स्वयं फैसले लेने का अवसर देना चाहिये।
वर्तमान तकनीकी-आर्थिक समाज में इस कथन के निहितार्थों को निम्न बिंदुओं के अंतर्गत समझा जा सकता हैं:
- नियोक्ताओं को चाहिये कि वे अपने कर्मचारियों को मशीन न समझे उन्हें, अच्छी कार्यदशाएं, वेतन-सुविधायें तथा सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें।
- कोई कंप्यूटर विशेषज्ञ इंटरनेट पर महिलाओं की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करके उनकी गरिमा भंग न करें।
- मीडियाकर्मियों को चाहियें कि वे गैर-जरूरी मामलों में मीडिया ट्रायल तथा स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से किसी की निजता का हनन न करें।
- डॉक्टरों को चाहिये कि किसी गंभीर रूप से घायल व्यक्ति का इलाज बिना किसी औपचारिक अनुमति से शुरू करें।
इस विचार का महत्त्व यह है कि सभी व्यक्ति एक-दूसरे का सम्मान करें जो सामाजिक समरसता तथा न्याय सुनिश्चित होते हैं, जो आदर्श लोकतंत्र के आधारभूत तत्व है।
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