हाल के वर्षों में नाभिकीय ऊर्जा का एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है। भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकताओं को रेखांकित करें।
23 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • भारत में नाभिकीय उर्जा तथा स्रोत • भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकता क्यों |
वर्तमान में नाभिकीय ऊर्जा का उदय एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है।
भारत में यूरेनियम निक्षेप मुख्यत: धारवाड़ शैलों मे पाए जाते है। भौगोलिक रूप से यूरेनियम अयस्क सिंह भूमि ताम्रपट्टी वाले अनेक स्थानों पर प्राप्त होता है। भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। भारत की महत्त्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनायें-तारापुर, रावतभाटा, कलपक्कम, नरौरा, कैगा, तथा ककरापार आदि हैं। दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये भारत द्वारा त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को अपनाया गया है।
भारत मे नाभिकीय ऊर्जा विकास की आवश्यकता:
उपरोक्त के अतिरिक्त नाभिकीय ऊर्जा राष्ट्रों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के तौर पर देखें तो वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते ने न केवल भारत के घरेलू संयत्रों को मान्यता प्रदान की बल्कि इसने भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को भी सुदृढ़ किया है। इसके साथ ही, इसने परमाणु अप्रसार के संबंध में भारत की साख को और मज़बूत कर, एक उत्तरदायी परमाणु हथियार संपन्न देश होने की मान्यता भी प्रदान की है।