नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल के वर्षों में नाभिकीय ऊर्जा का एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है। भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकताओं को रेखांकित करें।

    23 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • भारत में नाभिकीय उर्जा तथा स्रोत

    • भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकता क्यों

    वर्तमान में नाभिकीय ऊर्जा का उदय एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है।

    भारत में यूरेनियम निक्षेप मुख्यत: धारवाड़ शैलों मे पाए जाते है। भौगोलिक रूप से यूरेनियम अयस्क सिंह भूमि ताम्रपट्टी वाले अनेक स्थानों पर प्राप्त होता है। भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। भारत की महत्त्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनायें-तारापुर, रावतभाटा, कलपक्कम, नरौरा, कैगा, तथा ककरापार आदि हैं। दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये भारत द्वारा त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को अपनाया गया है।

    भारत मे नाभिकीय ऊर्जा विकास की आवश्यकता:

    • ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से : नाभिकीय ऊर्जा,ऊर्जा सुरक्षा को प्राप्त करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण घटक है। चूंकि नाभिकीय ऊर्जा में वृहद पैमाने पर विद्युत उत्पादन की क्षमता विद्यमान है, अत: यह लाखों लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने मे सहायक सिद्ध होगी।
    • जलवायु पर कम नकारात्मक प्रभाव: नाभिकीय रिएक्टर विद्युत संयत्रों की तरह कोयले का उपयोग कर ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन नहीं करते हैं।
    • पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों को प्रतिस्थापित कर सकते हैं: भारत में संस्थापित कुल ऊर्जा में नाभिकीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने मे सहायता प्रदान करेगी तथा यह पारंपरिक कोयला आधारित ऊर्जा संयत्रों को भी प्रतिस्थापित करेगी।
    • विद्युत की सतत आपूर्ति: ये विद्युत की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं, क्योंकि सौर तथा पवन ऊर्जा स्रोतों के विपरीत नाभिकीय संयत्र उस समय भी परिचालन में बने रह सकते है जब सूर्य का प्रकाश तथा पवन की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होती है। इसके साथ ही ये जलविद्युत संयत्रों के सामान जल की उपलब्धता में परिवर्तन पर होने पर भी प्रभावित नहीं होते हैं।

    उपरोक्त के अतिरिक्त नाभिकीय ऊर्जा राष्ट्रों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के तौर पर देखें तो वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते ने न केवल भारत के घरेलू संयत्रों को मान्यता प्रदान की बल्कि इसने भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को भी सुदृढ़ किया है। इसके साथ ही, इसने परमाणु अप्रसार के संबंध में भारत की साख को और मज़बूत कर, एक उत्तरदायी परमाणु हथियार संपन्न देश होने की मान्यता भी प्रदान की है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow