हाल के वर्षों में नाभिकीय ऊर्जा का एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है। भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकताओं को रेखांकित करें।
15 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकता से जुड़े बिंदु • समाधान युक्त निष्कर्ष |
वर्तमान में नाभिकीय ऊर्जा का उदय एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है।
भारत में यूरेनियम निक्षेप मुख्यत: धारवाड शैलों में पाए जाते है। भौगोलिक रूप से यूरेनियम अयस्क ताम्र पट्टी वाले अनेक स्थानों पर प्राप्त होती है। भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। भारत की महत्त्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनायें-तारापुर, रावतभाटा, कलथक्कन, नरौरा, केगा, तथा ककरापार आदि है। दीर्घकालिक लक्ष्याें को प्राप्त करने के लिये भारत द्वारा परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को अपनाया गया है।
भारत में नाभिकीय ऊर्जा विकास की आवश्यकता
उपरोक्त के अतिरिक्त नाभिकीय ऊर्जा राष्ट्रों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के तौर पर देखें तो वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते ने व केवल भारत के घरेलू संयंत्रों को मान्यता प्रदान की बल्कि इसने भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधो को भी सुदृढ़ किया है। इसके साथ ही इसने परमाणु अप्रसार के संबंध में भारत की साख को और सुदृढ़ कर एक उत्तरदायी परमाणु हथियार संपन्न देश होने की मान्यता भी प्रदान की है।