यूनिवर्सल बेसिक इनकम से आप क्या समझते हैं? इमरजेंसी बेसिक इनकम इससे किस प्रकार भिन्न है। यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करने में किस प्रकार की चुनौतियों का समाना करना पड़ सकता है।
12 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण: • यूनिवर्सल बेसिक इनकम का परिचय • यूनिवर्सल बेसिक इनकम एवं इमरजेंसी बेसिक इनकम में अंतर • यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करने में आने वाली चुनौतियाँ • निष्कर्ष |
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने हेतु जारी लॉकडाउन के कारण रोज़गार समाप्त हो रहे हैं और लोगों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई। इस प्रकार की विषम परिस्थितियों में लोगों के आर्थिक संव्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिये अर्थशास्त्रियों ने सरकार को यूनिवर्सल बेसिक इनकम की योजना पर विचार करने का सुझाव दिया है।
यूनिवर्सल बेसिक इनकम देश के प्रत्येक नागरिक को दिया जाने वाला एक आवधिक, बिना शर्त नकद हस्तांतरण है। इसके लिये व्यक्ति के सामाजिक या आर्थिक स्थिति पर विचार नहीं किया जाता है।
इसकी दो प्रमुख विशेषताएं हैं-
इमरजेंसी बेसिक इनकम :
चुनौतियाँ : कई विशेषज्ञों का मानना है कि सबके लिये बेसिक इनकम का बोझ कोई बहुत विकसित अर्थव्यवस्था ही उठा सकती है जहाँ सरकार का खर्च GDP के 40 फीसदी से भी ज्यादा हो और टैक्स से होने वाली कमाई का आँकड़ा भी इसके आस-पास ही हो।
निष्कर्षत : बेसिक इनकम का विचार भारत की जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा अन्य नागरिक सुविधाओं में सुधार हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकती है। लेकिन सबके लिये एक बेसिक इनकम तब तक संभव नहीं है जब तक कि वर्तमान में सभी योजनाओं के माध्यम से दी जा रही सब्सिडी को खत्म न कर दिया जाए। अत: सभी भारतवासियों के लिये एक बेसिक इनकम की व्यवस्था करने की बजाय सामाजिक आर्थिक जनगणना की मदद से समाज के सर्वाधिक वंचित तबके के लिये एक निश्चित आय की व्यवस्था करना कहीं ज्यादा प्रभावी और व्यावहारिक होगा।