- फ़िल्टर करें :
- अर्थव्यवस्था
- विज्ञान-प्रौद्योगिकी
- पर्यावरण
- आंतरिक सुरक्षा
- आपदा प्रबंधन
-
प्रश्न :
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र जल स्तर में वृद्धि के प्रति भारत की सुभेद्यता के बिंदुओं को स्पष्ट करते हुए वैश्विक स्तर पर पड़ने वाले प्रभावों को संक्षिप्त में समझायें।
04 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• समुद्र जल स्तर में वृद्धि के कारण भारत पर पड़ने वाला प्रभाव
• वैश्विक स्तर पर पड़ने वाला प्रभाव
• निष्कर्ष
कई पूर्ववर्ती भविष्यवाणियों में 2100 तक सागरीय जलस्तर में 1 मीटर तक की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह लाखों लोगों को विस्थापित करेगी तथा बुनियादी ढाँचे में कई बिलियन की राशि की हानि का कारण बनेगी।
भारत की सुभेद्यता के बिंदु
- नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारतीय तट के समीप समुद्र जल स्तर में 1.6-1.7 मिमी. प्रति वर्ष की औसत दर से वृद्धि हो रही है, किंतु यह दर एकसमान नहीं है।
- पेयजल में कमी: समुद्र जल स्तर में वृद्धि के परिणामस्वरूप तटीय क्षेत्रों में भूमिगत जल लवणीय हो जाएगा जिससे उपलब्ध पेयजल की मात्रा में अत्यधिक कमी आ जाएगी।
- खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव: मृदा में बाढ़ तथा लवणीय जल के अतिक्रमण के कारण, समुद्र के निकट स्थित कृषि भूमि में लवणता में वृद्धि हो जाती है। यह उन फसलों के लिये समस्या उत्पन्न करता है जो लवण के प्रति सहनशील नहीं है। इसके अतिरिक्त सिंचाई के लिये प्रयुक्त ताजे जल में लवणीय जल के अतिक्रमण में सिंचित फसलों के लिये एक अन्य प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जैसे- समुद्री जल स्तर में वृद्धि के कारण केरल में धान की कृषि के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है।
- मुंबई तथा अन्य पश्चिमी तट के क्षेत्र जैसे कि गुजरात में खंभात तथा कच्छ, कोंकण तट का कुछ भाग तथा दक्षिण केरल समुद्र जल स्तर में वृद्धि के प्रति सर्वाधिक सुभेद्य है। गंगा, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी तथा महानदी के डेल्टाओं के समक्ष भी जोखिम विद्यमान है।
वैश्विक प्रभाव के बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष
- बड़े पैमाने पर विस्थापन
- द्विपीय राष्ट्रों पर नकारात्मक प्रभाव
उपर्युक्त परिस्थितियों से निपटने के लिये निम्न बिंदुओं पर विचार करना आवश्यक है-
- जलवायु परिवर्तन पर अंकुश।
- नवीन रणनीतियों का विकास।
- जलवायु शरणार्थियों को स्वीकार करना।
- तटीय अधिवासों को सीमित करना।
- समुद्र तथा तटीय पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करना तथा साथ ही वैज्ञानिक अनुसंधान को सुदृढ़ बनाकर इस समस्या से निपटा जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print