उन्नीसवीं सदी के दौरान राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्धों और क्षेत्रीय विस्तार की वजह से ही नहीं हुआ था, बल्कि यह लंबे प्रयासों, त्याग और निष्ठा द्वारा उत्पन्न संस्कृति के द्वारा स्थापित हुआ, जिसने यूरोप से लेकर सारे विश्व को एक नए परिवर्तनकारी मंच पर खड़ा कर दिया। चर्चा करें।
05 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
हल करने का दृष्टिकोणः
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19वीं सदी के आरंभ में फ्राँस और इंग्लैण्ड द्वारा लड़े गए युद्धों तथा क्षेत्रीय विस्तार की महत्त्वाकांक्षा ने यूरोप एवं संपूर्ण विश्व में राष्ट्रवादी विचारों के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यूरोप तथा संपूर्ण विश्व में राष्ट्रवादी विचारों के प्रसार में इन कार्यों के अतिरिक्त 19वीं सदी के पूर्व में हुए पुनर्जागरण, धर्म सुधार आंदोलन, वाणिज्यिक क्रांति, प्रबोधन युगीन चिंतकों (जैसे जॉन लॉक, मॉन्टेस्क्यू, वाल्टेयर रूसो आदि) के विचारों, अमेरिकी क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन्न लोकतांत्रिक विचारों तथा फ्राँसीसी क्रांति के स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्त्व आदि विचारों ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुनर्जागरण काल में धर्म, दर्शन, कला, साहित्य, भाषा आदि के क्षेत्र में मौलिक विकास दर्ज़ किया गया। क्षेत्रीय भाषाओं के विकास को बल मिला जिससे इटालियन भाषा में दांते, जर्मन भाषा में गेटे तथा स्पेनिश भाषा में सवेंटीज जैसे विद्वान पैदा हुए। कला के केंद्र में इहलौकिक व मानवतावादी तत्त्वों का पुट स्थापित हुआ। इस प्रकार रोमन सांस्कृतिक एकीकरण के विरुद्ध क्षेत्रीयता की भावना प्रबल हुई एवं राष्ट्रवाद के विकास को बल मिला।
इन घटनाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई राष्ट्रीय भावनाओं का प्रभाव 19वीं सदी के दौरान यूरोप तथा संपूर्ण विश्व में महसूस किया गया। यूरोप में 1830 और 1848 में हुई क्रांतियाँ, इंग्लैण्ड में 1815 में हुए संवैधानिक सुधार, मैजिनी, कावूर एवं गैरीबाल्डी के नेतृत्व में हुआ इटली का एकीकरण, बिस्मार्क के नेतृत्व में हुआ जर्मनी का एकीकरण, क्रीमिया का युद्ध आदि ने संपूर्ण विश्व को उद्वेलित किया।
इन घटनाओं ने विभिन्न उपनिवेशों में राष्ट्रवाद की भावना जाग्रत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत में भी इन घटनाओं के परिणामस्वरूप राष्ट्रवाद की भावना का प्रसार हुआ। फलस्वरूप भारत में सामाजिक, धार्मिक सुधार आंदोलनों का आरंभ हुआ, भारतीयों में राजनीतिक चेतना का विकास हुआ और वे अंग्रेज़ों के खिलाफ एकजुट हुए। इसी राष्ट्रवादी चेतना के फलस्वरूप निर्मित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नामक संगठन के प्रयासों से भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। दक्षिण अफ्रीका में इसी समय अधिकारों की मांग उठी जो आगे चलकर रंगभेद विरोधी आंदोलन का आधार बनी।
इस प्रकार 19वीं सदी के दौरान हुए राष्ट्रवाद के विकास परिणामस्वरूप संपूर्ण विश्व में राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रसार हुआ और लोग उपनिवेशवादी, शोषण एवं अत्याचार के खिलाफ एकजुट हुए और संपूर्ण विश्व में लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व की भावना का प्रसार हुआ।