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प्रश्न :
भारत की पारिवारिक संरचना पर प्रकाश डालते हुए परिवार की संरचना और महिलाओं की परिस्थिति की विवेचना कीजिये।
18 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• भारतीय परिवार की संरचना
• भारतीय परिवार में महिलाओं कि स्थिति एवं परिस्थिति
• निष्कर्ष
भारत में एकल तथा संयुक्त दोनों प्रकार के परिवार पाए जाते हैं। ऐसे संयुक्त परिवार आज भी हैं जहाँ कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं किंतु भारत में संयुक्त परिवार प्रणाली सामान्य रूप से पाई जाती है। अभी तक संयुक्त परिवार को एक आदर्श रूप में माना जाता रहा है, हालाँकि प्रवासन तथा शहरीकरण तीव्रता से पारिवारिक संरचनाओं को परिवर्तित कर रहे हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार 24.88 करोड़ परिवारों में से 12.97 करोड़ परिवार एकल परिवार हैं। संयुक्त परिवारों के विघटन के परिणामस्वरूप एकल परिवारों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है जिससे परिवार में महिलाओं की सापेक्ष स्थिति और सामाजिक सुरक्षा एवं बुजुर्गों की देखभाल के संदर्भ में परिवर्तित रही है।
कई परिवार की संरचना में महिलाओं की प्रस्थिति:
- एकल परिवारों में महिलाओं के पास निर्णय लेने की शक्ति होती है। परिवार से बाहर आने जाने की अधिक स्वतंत्रता होती है तथा नौकरियों में अधिक भागीदारी होती है।
- आर्थिक प्रस्थिति, जाति तथा परिवार की अवस्थिति के अनुसार महिलाओं की स्वायत्तता का स्तर भिन्न-भिन्न होता है। उदाहरण के तौर पर देखें तो समृद्ध संयुक्त परिवारों में महिलाओं को परिवार के भीतर निर्णय-निर्माण ने अधिक स्वायत्तता प्राप्त होती है, परंतु उन्हें घर से बाहर जाने की स्वतंत्रता बहुत कम मिलती है वहीं दूसरी ओर निर्धन संयुक्त परिवारों की महिलाओं के संदर्भ में यह स्थिति विपरीत होती है। उन्हें घर के बाहर आने-जाने की स्वतंत्रता अधिक मिलती है, किंतु परिवार के अंदर निर्णय लेने हेतु स्वतंत्रता बहुत कम मिलती है।
- भौगोलिक अवस्थिति भी महिलाओं की स्वायत्तता को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिये देखें तो उत्तर भारत के संयुक्त परिवारों की महिलाओं को दक्षिण भारत महिलाओं की तुलना में निम्न स्वायत्तता प्राप्त है। रोचक तथ्य यह है कि दक्षिण भारत में महिलाओं की स्वायत्तता पर पारिवारिक संरचना का प्रभाव बहुत कम है।
- लैंगिक आहार पर श्रम विभाजन, भारत में पारंपरिक परिवार प्रणाली की विशेषता हैं भारत में महिलाओं से सभी प्रकार के घरेलू कार्य की अपेक्षा की जाती है, जेसे- खाना बनाना, बर्तन साफ करना, कपड़े धोना आदि। इसके अलावा, उसे बच्चों की देखभाल संबंधी मातृत्व कर्त्तव्य का निवर्हन के साथ-साथ परिवार के सभी सदस्यों के हितों का भी ध्यान रखना होता है। हालाँकि वैश्वीकरण के बढ़ते प्रभाव तथा शिक्षा की पहुँच ने महिलाओं के लिये आर्थिक अवसरों को बढ़ाया है जिसके कारण महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता में वृद्धि हुई है।
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