भारत में कुपोषण की समस्या को देखते हुए राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई। खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? चर्चा करें।
16 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
हल करने का दृष्टकोण: • भूमिका • राष्ट्रीय पोषण मिशन का महत्त्व एवं विशेषताएँ • निष्कर्ष |
भारत में मातृ एवं बाल स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी 30 से अधिक सरकारी योजनाएँ चलाई जाने के बावजूद भी भारत आज कुपोषण की समस्या से जूझ रहा है। वर्ष 2017-18 में शुरू किये गए राष्ट्रीय पोषण मिशन का उद्देश्य कुपोषण तथा जन्म के समय बच्चों का वज़न कम होने संबंधी समस्याओं को प्रत्येक वर्ष 2 प्रतिशत तक कम करना है। यह मिशन गर्भवती महिलाओं, माताओं तथा बच्चों के समग्र विकास तथा पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करने को समर्पित है। इसका लक्ष्य स्टंटिंग, कुपोषण, एनीमिया आदि को कम करना है।
मिशन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
स्वतंत्रता के बाद जनसंख्या वृद्धि हुई किंतु उस अनुपात में अन्न उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि न हुई फलत: भूखमरी बड़ी। हरित क्रांति द्वारा उत्पादन बढ़ाने का सफल प्रयत्न किया गया। तत्पश्चात् सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंत्योदय अन्य योजना, अन्नपूर्णा योजना, काम के बदले अनाज योजना आदि प्रारंभ की। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन भी कुपोषण तथा भूखमरी को कम करने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास था जिसका उद्देश्य तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करना था।
उपरोक्त प्रयासों के बावजूद भारत में 5.7 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार है, दुनिया में भूखे लोगों की आबादी में भारत की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत के लगभग है। उल्लेखनीय है कि इसका कारण भारत में खाद्यान्न की कमी नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ लक्षित समूहों तक न पहुँच पाना है तथा योजनाओं के समन्वित क्रियान्वयन के लिये किसी कार्यक्रम का अभाव है। इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिये सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ की शुरुआत की गई।