- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- संस्कृति
- भारतीय समाज
-
प्रश्न :
क्या कारण है कि ‘पश्चिमी घाट की तुलना में हिमालय में भूस्खलन की घटनाओं की बारंबारता अधिक देखी गई है?
14 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• पश्चिमी घाट एवं हिमालयी क्षेत्र का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए भूस्खलन की घटनाओं की बारंबारता के कारण
• निष्कर्ष
भूस्खलन वह प्राकृतिक घटना है जो गुरुत्वाकर्षण बल, ढाल की अधिक प्रवणता, बहाव, भारी बर्फबारी जैसे सम्मिलित कारकों के कारण घटित होती है जिसके कारण भारी मात्रा में मिट्टी, पत्थर, मलबा आदि पहाड़ी ढ़लानों से टूटकर नीचे गिरता है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के अनुसार भारत का 15% भूभाग भूस्खलन से प्रभावित है। परंतु हिमालय में पश्चिमी घाट की तुलना में भूस्खलन की घटनाओं की बंरबारता अधिक देखने को मिलती है। जिसके कारणों को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है:-
- पश्चिमी घाट की ऊंचाई तथा ढलान की तीव्रता हिमालय की अपेक्षा कम है जो भूस्खलन के प्रमुख कारको में से एक मानी जाती है।
- हिमालय एक नवीन वलित पर्वत है जो निर्माण की प्रक्रिया से गुज़र रहा है जबकि पश्चिमी घाट एक घर्षित ब्लॉक पर्वत है।
- हिमालय से निकलने वाली नदियों के कारण जल तथा अवसाद का दबाव बढ़ जाता है, जिसके कारण ढलानों पर भी दबाव बढ़ जाता है जबकि पश्चिम घाट की नदियों में हिमालयी नदियों की अपेक्षा अवसाद कम है।
- भूकंप की दृष्टिकोण से हिमालयी क्षेत्र अधिक संवेदनशील है जबकि पश्चिमी घाट अपेक्षाकृत स्थित है। जो भू-स्खलन का प्रमुख कारक है।
- हिमालयी क्षेत्र में ठंड में होने वाली बर्पबारी जब गर्मी के मौसम में पिछलती है तो वहां की मिट्टी को मुलायम बना देती है जिससे भूस्खलन की समस्या बढ़ जाती है। देखा जाए तो पश्चिमी घाट में भूस्खलन का प्रमुख कारण भारी बारिश है बर्पबारी नहीं।
उपरोक्त के अतिरिक्त हिमालयी क्षेत्र में बढ़ती मानवीय तथा औद्योगिक गतिविधियां पश्चिमी घाट की तुलना में अधिक है। जिसके कारण समय-समय पर भू-स्खलन की समस्या की बारंबारता बढ़ जाती है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print