‘‘यदि किसी के चरित्र का परिक्षण करना है तो उसे अधिकार/शक्ति दे दो।’’ टिप्पणी करें।
13 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • उदाहरण द्वारा कथन को प्रमाणित करना • निष्कर्ष |
उपरोक्त कथन अब्राहम लिंकन द्वारा कहा गया है जो मानव में निहित नैतिकता की दृढ़ता के परीक्षण की बात करता है। माना जाता है कि किसी व्यक्ति के वास्तविक चरित्र का पता तब चलता है जब उसे सही तथा गलत दोनों प्रकार के कार्यों की करने के लिये अनन्य अधिकार प्रदान कर दिये जाते हैं। ऐसे समय में उसके द्वारा किया जाने वाला व्यवहार ही उसका वास्तविक चरित्र को दर्शाता है। उदाहरण के तौर पर गांधी तथा हिटलर को देखा जा सकता है जिनके पास अपार जनसमर्थन था तथा जनता उसकी प्रत्येक बात से सहमत थी। ऐसे में गांधी जी द्वारा सत्य तथा अहिंसा के रास्ते का चुनाव किया गया, वहीं दूसरी ओर हिटलर ने इसका प्रयोग तानाशाही तथा जनसंहार में किया।
उपरोत कथन व्यक्ति द्वारा कही जाने वाली बातों तथा उसके द्वारा किये जाने वाले आचरण के मध्य अंतर्संबंधों को भी दर्शाता है। अर्थात् अधिकार प्राप्ति से पहले व्यक्ति नैतिकता के बड़े-बड़ दावे कर सकता है, किंतु उसके वास्तविक चरित्र का निर्धारण तब होता है जब उसे उचित अधिकार मिल जाए। जैसे एक साधारण व्यक्ति नेताओं की कार्यशैली पर उंगली उठाता है, किंतु स्वयं पद प्राप्ति के बाद कैसा व्यवहार करता है, यही उसकी वास्तविक परीक्षण होता है।
लिंकन का उपर्युक्त कथन इस ओर ध्यान आकृष्ट करता है कि उचित नैतिकता के अभाव में कोई व्यक्ति शक्ति पाते ही आसानी से भ्रष्ट हो सकता है। वर्तमान में भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण विवेकाधीन शक्तियों का गलत प्रयोग करना।
निष्कर्षत: जो व्यक्ति अधिकार पाकर भी नैतिक आचरणों से बंधा रहता है वह हर परिस्थिति में ईमानदार बना रहता है। सही तथा गलत विकल्पों में से चुनाव ही व्यक्ति के चरित्र के सही या गलत होने का निर्धारण करता है।