‘स्थलरूप अंतर्जात एवं बहिर्जात कारकों की पारस्परिक क्रिया का प्रतिफल होता है।’ स्पष्ट कीजिये।
11 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा
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डेविस ने 1899 में भौगोलिक चक्र की संकल्पना का प्रतिपादन किया तथा बताया कि भौगोलिक चक्र अपरदन की वह अवधि है, जिसके अंतर्गत उत्थित भूखंड अपरदन के प्रक्रम द्वारा प्रभावित होकर एक आकृतिविहीन समतल मैदान में बदल जाता है। इसी आधार पर डेविस ने यह प्रतिपादित किया कि ‘स्थलरूप संरचना, प्रक्रम तथा समय का प्रतिफल है’। इन तीनों कारकों को डेविस के त्रिकूट के नाम से जाना जाता है।
डेविस का सामान्य सिद्धांत यह है कि स्थलरूपों में समय के संदर्भ में क्रमिक परिवर्तन होता है। इनके सिद्धांत का मुख्य उद्देश्य स्थलरूपों का जननिक एवं क्रमबद्ध वर्णन करना था। डेविस का भौगोलिक चक्र मॉडल निम्न मान्यताओं पर आधारित है—
डेविस के सिद्धांत की प्रथम मान्यता के अनुसार, जैसे ही भ्वाकृतिक प्रक्रम समय के साथ कार्यशील होते हैं, स्थलरूपों में इस तरह का क्रमिक परिवर्तन होता है कि सामान्य आंतरिक एवं बाह्य पर्यावरणीय दशाओं में स्थलरूपों का एक व्यवस्थित रूप विकसित होता है। उन बाह्य दशाओं में अपरदन, अनाच्छादन तथा निक्षेपण की क्रिया को शामिल किया जाता है, जबकि आंतरिक दशाओं में अंतर्जात बलों को शामिल किया जाता है। इस संदर्भ में तंत्र के आधार पर आगे चलकर कई मॉडल प्रतिपादित किये गए— अपरदन का सामान्य चक्र, सागरीय अपरदन चक्र, कार्स्ट अपरदन चक्र, परिहिमानी चक्र आदि।
अतः स्पष्ट है कि भौगोलिक चक्र समय की एक अवधि होता है जिसके दौरान उत्थित स्थलखंड निर्णायक प्रक्रमों द्वारा एक आकृतिविहीन मैदान में परिवर्तित हो जाता है।