‘हिटलर की विदेश नीति ने ही विश्वयुद्ध की आशंका को जन्म दिया।’ टिप्पणी कीजिये।
11 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • विश्वयुद्ध के मुख्य कारणों में हिटलर की विदेश नीति • निष्कर्ष |
हिटलर की विदेश नीति के सामान्य सिद्धांत के अंतर्गत राज्य की सर्वोच्चता तथा युद्ध की अनिवार्यता का सिद्धांत समाहित था। हिटलर ने उग्र-राष्ट्रवाद का समर्थन किया तथा अंतर्राष्ट्रीयता का विरोध किया तथा सैन्य बल पर आधारित विदेश नीति को निर्धारित करते हुए युद्ध को राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक माना।
हिटलर नस्लवाद के सिद्धांत का समर्थक था। इसके आधार पर उसने उन क्षेत्रों का अधिग्रहण करना चाहा जहाँ जर्मन जनसंख्या की अधिकता थी, जैसे- चेकोस्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया, पोलैंड आदि। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये उसने लेवन स्टांग या लिविंग स्पेस की नीति अपनाई। अर्थात् जर्मन जातियों का बसाव व नई बस्तियों की स्थापना तथा उनके जीवन-यापन के लिये नए स्थानों को जीतना। यह नीति दक्षिण-पूर्वी यूरोप, रूस तथा चेकोस्लोवाकिया में चलाई गई।
हिटलर ने अपने वैदेशिक सिद्धांतों की अभिव्यक्ति के लिये सर्वाय की संधि का अतिक्रमण करते हुए सार क्षेत्र में जनमत संग्रह कराकर सार का जर्मनी में विलय कर लिया गया तथा डेजिंग, मेमेल आदि का विलय करते हुए क्षतिपूर्ति देने से इंकार कर दिया। स्पष्ट रणनीति अपनाते हुए नि:शस्त्रीकरण सम्मेलन का बहिष्कार किया तथा राष्ट्र संघ से जर्मनी को पृथक् कर लिया, साथ ही जर्मनी में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू की।
जर्मनी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से विभिन्न राष्ट्रों से संधियाँ की 1937 ई. में दस वर्षीय पोलैंड से अनाक्रमण समझौता किया और 1939 ई. में ब्रिटेन के साथ समझौता किया। 1936 ई. में जापान तथा इटली से समझौता कर रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी का निर्माण किया। फ्रांस के साथ समझौता किया कि हिटलर उसकी सीमाओं का सम्मान करेगा तथा साम्यवाद के विस्तार को रोकने के लिये कॉमिन्टर्न विरोधी समझौता किया।
युद्ध के माध्यम से विस्तारवादी नीति अपनाते हुए सर्वप्रथम ऑस्ट्रिया पर अधिकार करने का प्रयास 1934 ई. में किया, किंतु इटली के विरोध के कारण शुरुआत में असफल रहा, किंतु 1938 ई. में इटली के समर्थन से ऑस्ट्रेलिया पर अधिकार कर लिया। 1938 ई. में म्यूनिख संधि की तथा सुडेटनलैंड पर अधिकार किया। 1939 ई. में चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण किया। परंतु पोलैंड पर विस्तारवादी नीति से द्वितीय विश्वयुद्ध का सूत्रपा हुआ।
हिटलर की विदेश नीति के परिणामस्वरूप तनावपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय स्थितियाँ निर्मित हुई। अंतर्राष्ट्रीय नियमों एवं आदर्शों का उल्लंघन होने से द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई।