‘प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान हुई सामाजिक तथा आर्थिक क्षति की भरपाई आने वाले कई वर्षों तक नहीं की जा सकी।’ विश्लेषण कीजिये।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• विश्वयुद्ध के दौरान हुई सामाजिक तथा आर्थिक क्षति
• परिणाम
• निष्कर्ष
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प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत वर्ष 1914 में हुई। अपने विस्तार स्वरूप तथा परिणामों की दृष्टि से प्रथम विश्वयुद्ध उसके पूर्व लड़े गए युद्धों से भिन्न था। विश्व इतिहास में इसे ‘प्रथम आधुनिक युद्ध’ की संज्ञा दी गई। इस युद्ध ने विश्व के सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों को इतना व्यापक नुकसान पहुँचाया कि उसकी क्षतिपूर्ति करना वर्षों तक संभव न हो सका:
सामाजिक परिणाम:
- विश्वयुद्ध सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत विनाशकारी सिद्ध हुआ। इस दौर में अनेक ऐतिहासिक स्थलों तथा सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट कर दिया गया।
- युद्ध के पश्चात् अल्पसंख्यकों की स्थिति दयनीय हो गई।
- फ्राँस तथा ब्रिटेन जैसे देशों में परिवार नियोजन पर बल दिया जाता था। ऐसे में युद्ध में जनसंख्या का एक भाग खोने के बाद इन देशों की सरकारों तथा जनता के मध्य संघर्ष देखने को मिले।
- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद देशों में अधिक विकसित तथा क्षतिकारक हथियारों का निर्माण शुरू हुआ जिससे समाज में भय का माहौल बना।
- युद्ध के परिणामस्वरूप बेरोज़गारी तथा महामारी फैली। युद्ध के दौरान अपाहिज हुए सैनिकों तथा नागरिकों को बेरोज़गारी का सामना करना पड़ा।
- महायुद्ध के दौरान शिक्षा को भारी क्षति पहुँची।
आर्थिक परिणाम:
- इस युद्ध के कारण धन-संपत्ति का अत्यधिक विनाश हुआ। युद्ध का औसत दैनिक व्यय 40 करोड़ रुपए था जो अंतिम वर्षों में 44 करोड़ तक बढ़ गया।
- युद्ध के दौरान युद्धरत देशों के सार्वजनिक ऋणों में भारी वृद्धि हुई। देश ऋण के बोझ से लद गए। विनाश के कारण वस्तुओं के दाम बढ़ने लगे तथा मुद्रा की कीमत गिरने लगी। फलत: व्यापार के क्षेत्र में अव्यवस्था और असंतुलन उत्पन्न हो गया।
- युद्धकाल के कारण राष्ट्रों पर ऋण बढ़ गया था। ऋणों को चुकाने के लिये यूरोपीय राष्ट्रों ने भारी मात्रा में कागज़ी मुद्रा जारी की। फलत: मुद्रा का मूल्य बाज़ार में बहुत अधिक गिर गया और वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई। धन एकत्रित करने के लिये जनता पर कर लगाए गए, परिणामस्वरूप जनता में असंतोष बढ़ा।
निष्कर्षत: प्रथम विश्वयुद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष संकट खड़ा किया जिससे आगे चलकर द्वितीय विश्वयुद्ध के मूल कारणों में अहम योगदान दिया। 1917 की रूसी क्रांति तथा जर्मनी का नाजीवाद व इटली में फासीवाद के प्रसार को भी इसी संदर्भ में समझा जा सकता है।