चालुक्यकालीन स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिये।
13 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति
उत्तर की रूपरेखा
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चालुक्य साम्राज्य की स्थापत्य कला के प्राचीनतम उदाहरण बौद्ध धर्म के हैं, जिनका विकास तीसरी ईसवी पूर्व से सातवीं ईसवी तक रहा। दक्कन की स्थापत्य कला के इतिहास में धर्म का पुनर्जागरण वास्तुकला के संरक्षक चालुक्यों के काल में हुआ। उन्होंने अपनी राजधानी वातापी को अनेक चट्टान, मंदिरों से अलंकृत किया, जिनमें से कुछ अब भी दक्कन में इस शैली के पुराने ब्राह्मण भवनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
चालुक्य काल में कला का विकास धीरे-धीरे हुआ। इस काल के प्रमुख केंद्र थे– ऐहोल, वातापी (बादामी), पट्टदकल और आलमपुर। ऐहोल में चालुक्यों के प्रारंभिक मंदिर प्राप्त होते हैं जिस कारण इसे मंदिरों का नगर कहा गया है। ऐहोल के बाद वातापी (बादामी) में पत्थरों को काटकर मंदिरों एवं गुफाओं का विकास हुआ। चालुक्य वंश के अंतिम शासकों ने कला के लिये पट्टदकल एवं आलमपुर को चुना। इसकी अन्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-