हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में कहा गया कि ‘देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है’ भारत में वर्तमान में घरेलू हिंसा की स्थिति पर प्रकाश डाले। लॉक डाउन के समय घरेलू हिंसा में वृद्धि के कारणों पर चर्चा करें।
01 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
हल करने का दृष्टिकोण • भूमिका • घरेलू हिंसा के बढ़ते आँकड़े • कारण • निष्कर्ष |
कोरोनावायरस महामारी के कारण तमाम देशों की सरकारें अपनी-अपनी क्षमता अनुसार इस वायरस से लड़ने का प्रयास कर रही हैं, इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने भी 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की जिसकी अवधि बाद में बढ़ाकर 3 मई, 2020 तक कर दी गई। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा भी यह माना जा रहा है कि बरोज़गारी, वेतन में कटौती तथा खर्च में वृद्धि के कारण तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा में वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त महिलाओं की शिकायतों के प्रति पुलिस की उदासीनता के मामलों में भी लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है।
यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड की रिपोर्ट के अनुसार लगभग दो तिहाई विवाहित महिलाएँ घरेलू हिंसा का शिकार हैं। महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के पीछे यह मूर्खतापूर्ण मानसिकता है कि महिलाएँ पुरुषों की तुलना में शारीरिक तथा भावनात्मक रूप से कमजोर होती है।
यदि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में घरेलू हिंसा का सामना किया है तो उसे इस भय से बाहर निकालना कठिन होता है। अनवरत् रूप से घरेलू हिंसा का शिकार होने के बाद व्यक्ति की सोच पर नकारात्मकता हावी हो जाती है और स्थिर जीवनशैली की मुख्यधारा में लौटने में कई वर्ष लग जाते है। ऐसे मामलों में अक्सर यह देखा गया है कि पीड़ित महिला अपना मानसिक संतुलन तक खो देती है या अवसाद का शिकार हो जाता है।
कारण: राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, इस प्रकार की शिकायतों का मुख्य कारण यह है कि लगभग संपूर्ण पुलिस व्यवस्था देशव्यापी लॉकडाउन को लागू करने में व्यस्त है।
निष्कर्षत: इस लॉकडाउन के समय में सरकार को महिला सुरक्षा से जुड़ी विभिन्न सेवाओं को अति आवश्यक की श्रेणी में रखना चाहिये। महिला अधिकारों को बढ़ावा देने के साथ ही घरेलू कामों में पुरुषों की बराबर भागीदारी के माध्यम से एक सकारात्मक माहौल बनाया जाना चाहिये।