थार्मोहैलाइन चक्र से आप क्या समझते हैं? यह जलवायु परिवर्तन को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है?
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• परिभाषा
• जलवायु परिवर्तन का इस चक्र पर प्रभाव
• निष्कर्ष
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‘थर्मोहैलाइन’ दो शब्दों ‘थर्मो’ अर्थात् ‘ताप’ व ‘हैलाइन’ अर्थात् ‘सागरीय जल में लवणता’ से मिलकर बना है। ताप तथा लवणता से मिलकर ही सागरीय जल के मौलिक तथा रासायनिक गुणों को निर्धारित करते हैं जो विश्व के विभिन्न भागों पर प्रभाव दर्शाते हैं। थर्मोहैलाइन चक्र सागरीय जल के ताप व लवणता को देशांतरीय प्रवणता के कारण निर्मित वृहद् चक्र है जो ऊष्मा व पदार्थ (घुलित पदार्थ, ठोस व गैसों) का विश्व में वितरण करता है।
जलवायु परिवर्तन का इस चक्र पर प्रभाव:
- जलवायु परिवर्तन से विश्व के औसत तापक्रम में वृद्धि हो रही है जिससे ध्रुवीय, परिध्रुवीय क्षेत्रों में ग्लेशियरों के पिघलने की दर तीव्र हो गई है। फलत: सागरों में ताजे, ठंडे जल की मात्रा बढ़ रही है।
- गल्फ स्ट्रीम गर्म जल व लवण निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर ले जाने की मात्रा में 1957 की तुलना में 30 प्रतिशत की कमी आई है। इसके कारण उत्तरी अटलांटिक क्षेत्रों में वर्षा बढ़ी है तथा बर्फ तेजी से पिघलकर गल्फ स्ट्रीम को और कमजोर कर रही है। अत: यह संभावना भी जताई जाती है कि गल्फ स्ट्रीम का उत्तर की ओर प्रवाह रूक जाएगा। पश्चिमी यूरोप के लिये यह किसी आपदा से कम नहीं होगा।
- पृथ्वी के ऊष्मा बजट पर भी वायुमंडल में CO2 की मात्रा निर्धारित करने में भी थर्मोहैलाइन चक्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस चक्र के बाधित या कमजोर होने से पृविी के ऊष्मा बजट तथा वायुमंडलीय में CO2 की मात्रा पर भी प्रभाव पड़ेगा।
- अमेरिका के शहरों, जैसे- बोस्टन, न्यू यॉर्क आदि में भीषण बाढ़ आने का भी खतरा होगा, क्योंकि उनके लिये दीवार की तरह कार्य करने वाली गल्फ स्ट्रीम धारा कमज़ोर पड़ रही है। 2009 से 2011 के मध्य इन क्षेत्रों में समुद्र तल लगभग 4 इंच ऊँचा देखा गया।
उपरोक्त से स्पष्ट है कि यह तंत्र पूर्वी का तापमान लगभग स्थिर बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा इस चक्र के बाधित होने से अनेक जलवायवीय गड़बड़ियाँ होने की संभावनाएँ हैं।