इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘इंडो-इस्लामिक कला के विकास-क्रम में फतेहपुर सीकरी एक मील का पत्थर है, यह इस्लामी और हिन्दू स्थापत्य का सुंदर सामंजस्य है।’ कथन की तथ्यात्मक पुष्टि कीजिये।

    14 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
    • इंडो-इस्लामिक शैली की विशेषताओं को संक्षेप में लिखते हुए फतेहपुर सीकरी की निर्माण कला के विषय में लिखें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    सल्तनत काल में ही भारतीय तथा इस्लामी शैलियों की विशेषताओं से युक्त स्थापत्य का विकास हुआ, जिसे हिंदू इस्लामी या इंडो-इस्लामिक शैली कहा गया। इसी का विकास-क्रम मुगलकालीन स्थापत्य ‘फतेहपुर सीकरी’ में देखने को मिलता है।

    इंडो-इस्लामिक शैली की प्रमुख विशेषताओं में भारतीय शहतीरी शिल्पकला और मेहराबी कला का समन्वय, इमारतों की साज-सज्जा में भारतीय अलंकरण और इस्लामी सादगी का समन्वय तथा जोड़ने में अच्छे गारे का इस्तेमाल और डॉटदार पत्थरों का प्रयोग शामिल है। मुगल वास्तुकला इंडो-इस्लामिक शैली का अंतिम पड़ाव है, जिसमें मीलों घेरे वाला शहर तथा घुमावदार, कोणदार और रंगीन मेहराब का इस्तेमाल, पित्रादूरा तकनीक आदि प्रमुख विशेषताएँ हैं। फतेहपुर सीकरी का किला इंडो-इस्लामी स्थापत्य का बेहतरीन उदाहरण है।

    आगरा से 36 किलोमीटर पश्चिम में स्थित लाल बलुआ पत्थर से निर्मित फतेहपुर सीकरी अकबर की महत्त्वाकांक्षी वास्तुकलात्मक परियोजना का प्रतिबिंब है। यहाँ दो श्रेणियों के भवन हैं- धार्मिक एवं लौकिक। धार्मिक भवनों जैसे- जामा मस्जिद और बुलंद दरवाज़ा में इस्लामी प्रभाव ज्यादा दृष्टिगोचर होते हैं, जबकि लौकिक या धर्म निरपेक्ष भवनों (प्रशासनिक भवन, महल या विविध) में भारतीय तत्त्वों की अधिकता है। जोधाबाई के महल में हिन्दू एवं जैन मंदिरों की विशेषता देखने को मिलती है। पंचमहल की सपाट छत को सहारा देने के लिये विभिन्न स्तंभों का इस्तेमाल किया गया है, जो मंदिरों एवं विहारों की शैली को दर्शाता है। पाँच मंजिला पंचमहल या हवामहल मरियम-उज-जमानी के सूर्य को अर्घ्य देने के लिये बनवाया गया था। यहीं से अकबर की मुसलमान बेगमें ईद का चाँद देखती थीं। जोधा का महल प्राचीन घरों के ढंग का बनवाया गया था। इसे बनवाने तथा सजाने में अकबर ने अपनी रानी की हिंदू भावनाओं का विशेष ख्याल रखा। भवन के अंदर आँगन में तुलसी का चौरा है और सामने दालान में एक मंदिर के चिह्न हैं। दीवारों में मूर्तियों के लिये  आले बने हैं। कहीं-कहीं दीवारों पर कृष्ण लीला के चित्र हैं, जो बहुत मद्धिम पड़ गए हैं। इसी प्रकार टोडरमल के महल या तानसिंह के महल में हिंदू प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। 

    कहने का तात्पर्य यह है कि फतेहपुर सीकरी में अकबर के ‘सुलह-ए-कुल’ की नीति का बिंब हिंदू-मूस्लिम स्थापत्य के सांमजस्य के रूप में देखा जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2