नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    रूस तथा चीन के मध्य बढ़ती सामरिक घनिष्ठता का भारत तथा रूस के संबंध किस प्रकार संभावित होंगे? चर्चा करें।

    24 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका 

    • रूस एवं चीन के बढ़ते संबंध

    • भारत तथा रूस के संबंधों पर प्रभाव

    • निष्कर्ष

    हाल ही में चीन तथा रूस के मध्य प्रथम सीमा-पार पाइपलाइन ‘पावर ऑफ साइबेरिया’ का उद्घाटन किया गया जो रूस तथा चीन के मध्य द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ को इंगित करता है। उल्लेखनीय है कि चीन विश्व का सबसे बड़ा ऊर्जा आयातक तथा उपभोक्ता है। इससे चीन को कोयले के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को अपनाने में सहायता प्राप्त होगी।

    उपरोक्त के अतिरिक्त रूस तथा चीन के मध्य बढ़ते सहयोग के अन्य क्षेत्र:

    • हाल ही में रूस द्वारा चीन को सुखोई-35 लड़ाकू जेट विमानों और S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की बिक्री की है।
    • बोस्टक 18, शीत युद्ध की समाप्ति के बाद आयोजित सबसे बड़ा रूसी सैन्य अभ्यास था जिसमें चीन की  भागीदारी व्यापक स्तर पर थी।
    • दोनों देश ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (SCO) के सदस्य हैं, जिसे व्यापक रूप से ‘अलायंस ऑफ द ईस्ट’ के रूप में संदर्भित किया जाता है। SCO एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा गठबंधन है तथा भारत भी इसका एक सदस्य है।
    • आर्थिक क्षेत्र में देखें तो दोनों देश ब्रिक्स तथा इसके अन्य संस्थानों, जैसे- ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ में भी भागीदार है, जिसे पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाले संस्थानों के विकल्प के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।

    भारत तथा रूस के संबंधों पर प्रभाव:

    • रूस तथा चीन के मध्य विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती घनिष्ठता भारत के लिये चिंता का विषय हैं
    • विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि रूस दीर्घकाल में भारत को चीन के सापेक्ष अनुकूल दर्जा प्रदान नहीं करेगा।
    • रूस, चीन तथा पाकिस्तान गठबंधन में भी शामिल ही रहा है। भारत की आपत्ति के बावजूद रूस पाकिस्तान का सहयोग करता है तो साथ ही अफगानिस्तान मुद्दे पर भी अपना दृष्टिकोण परिवर्तित कर रहा है। जैसे- हाल ही में रूस ने तालिबान के साथ वार्ता का समर्थन किया।

    निष्कर्षत: भारत की रणनीति सदैव प्रतिरक्षा आधारित रही है। भारत की रूस के साथ मिलता एक ‘विशेष तथा विशेषाधिकार प्राप्त’ साझेदार की है। वैश्वीकरण के दौर में बढ़ती अंतरनिर्भरता के कारण रूस तथा भारत दोनों के लिये यह आवश्यक है कि दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाए तथा किसी अन्य देश द्वारा इन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित होने से बचाए।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow