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प्रश्न :
‘अर्थव्यवस्था की पूर्ण क्षमता का दोहन करने के लिये व्यक्तियों की वित्त तक पहुँच अति महत्त्वपूर्ण होती हैं’, इस संदर्भ में भारत की डिज़िटल वित्तीय अवसंरचना की चुनौतियों की चर्चा करते हुए समाधान के बिंदु सुझाएँ।
23 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• डिज़िटल वित्तीय अवसंरचना की चुनौतियाँ
• समाधान
• निष्कर्ष
हाल ही में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेट्स (BIS) ने ‘डिज़िटल वित्तीय अवसंरचना की डिज़ाइन: भारत से सीख’ नामक एक शोध पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की क्षमता का पूरा उपयोग करने के लिये व्यक्तियों तक वित्त की पहुँच सुनिश्चित करना अति आवश्यक है। भारत द्वारा इस क्षेत्र में आने वाली बाधाओं का समाधान करने तथा बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली तक पहुँच को बढ़ावा देने में डिज़िटल प्रौद्योगिकियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
डिज़िटल वित्तीय अवसंरचना संबंधी चुनौतियाँ तथा समाधान:
- पहचान वित्तीय समावेशन का एक प्रमुख तत्व है। सत्यापन-योग्य पहचान प्रमाण-पत्र के द्वारा बैंक अकांउट खोलना, ऋण प्राप्त करना तथा सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में नामांकन कराना आसान हो जाता है।
- भारत में आधार कार्ड की शुरूआत कर इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया गया है। दिसंबर 2019 तक प्रधानमंत्री जन धन योजना अंतर्गत लगभग 380 मिलियन बैंक खाते खोले जा चुके हैं।
- औपचारिक वित्तीय प्रणाली के अंतर्गत भुगतान सेवाओं में सुधार करना: बढ़ती प्रतिस्पर्धा के आलोक में, बैंकिग प्रणाली में प्रवेश करने के बाद उपभोक्ताओं को इस प्रणाली के भीतर बनाए रखना अत्यधिक चुनौतिपूर्ण हो जाता है।
- उच्च भुगतान हस्तांतरण लागत, बोझिल तथा धीमी प्रक्रियाएँ तथा लेन-देन की सीमित उपलब्धता जैसे अवरोधक विद्यमान हैं।
- भारत में यूनीफाइड पेमेट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान किया है।
हाल ही में, UPI प्लेटफॉर्म के माध्यम से भुगतान पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट शुल्क समाप्त कर दिया गया है। इससे लेनदेन की लागत में आगे और कमी आएगी। UPI ने भारत में बड़े पैमाने पर डिज़िटल खुदरा भुगतान के अंगीरकरण की सुविधा प्रदान की है।
उपरोक्त के अतिरिक्त व्यापक सूचना विषमता तथा ग्राहकों की ओर से विश्वास की कमी को संतुलित करना भी एक चुनौती है, और इस चुनौती की दूर करने के लिये RBI ने वर्ष 2016 में अकाउंट एग्रीगेटर्स नामक से कानूनी ढ़ाँचे का निर्माण किया था, जो ग्राहकों की जानकारी तथा सहमति से विनियमित वित्तीय प्रणाली के भीतर ग्राहक डेटा के साझाकरण के कार्य को सक्षम बनाता है।
निष्कर्षत: भारत डिज़िटल वित्त के क्षेत्र में कुछ नीतिगत सुधारों, समावेशी वित्तीय विकास संबंधी चुनौतियों का समाधान कर विश्व के विकासशील देशों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।
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